बाघ अभयारण्यों में आदिवासी पुनर्वास के लिए नई नीति
भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण नीति ढांचा प्रस्तुत किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि बाघ अभयारण्यों से वनवासियों का विस्थापन एक “अत्यधिक अपवादस्वरूप, स्वैच्छिक और साक्ष्य-आधारित” प्रक्रिया होनी चाहिए। यह नीति जंगलों में रह रही पारंपरिक जनजातियों के अधिकारों की रक्षा करते हुए, संरक्षण और पुनर्वास के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती है।
समुदाय आधारित संरक्षण और पुनर्वास की नई दिशा
नई नीति के अनुसार, वनवासियों का पुनर्वास तभी किया जाना चाहिए जब वह स्वयं इसके लिए सहमत हों, और यह प्रक्रिया वैज्ञानिक आधार पर और उनके कानूनी अधिकारों का सम्मान करते हुए होनी चाहिए। इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय मिलकर एक राष्ट्रीय ढांचा बनाएंगे, जिसमें प्रक्रियात्मक मानक, समयसीमा और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
इसके अलावा, “राष्ट्रीय संरक्षण-सामुदायिक इंटरफेस डाटाबेस” की स्थापना का प्रस्ताव है, जिससे पुनर्वास, मुआवज़ा वितरण और पुनर्वास के बाद की स्थिति को ट्रैक किया जा सकेगा। पुनर्वास परियोजनाओं का वार्षिक स्वतंत्र ऑडिट भी अनिवार्य किया जाएगा ताकि वन अधिकार अधिनियम, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और मानवाधिकार मानकों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
बाघ अभयारण्यों में सह-अस्तित्व का विकल्प
नीति यह भी मानती है कि कई वनवासी समुदाय पारंपरिक वन क्षेत्रों में रहना चाहते हैं और ऐसा करते हुए वे वन अधिकार अधिनियम के तहत अपने व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार का दायित्व होगा कि वह इन गांवों में आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करे, ग्राम सभा सदस्यों को टाइगर कंज़र्वेशन फाउंडेशन और इको डेवलपमेंट कमेटियों में शामिल करे, और सतत सह-अस्तित्व के प्रमाण इकट्ठा कर देश भर में इस मॉडल को लागू करने की दिशा में कार्य करे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में कुल 53 बाघ अभयारण्य हैं, जिनका संचालन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) करता है।
- वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत वनवासियों को उनके पारंपरिक आवास और संसाधनों पर अधिकार दिए गए हैं।
- NTCA के अनुसार, बाघ अभयारण्यों के कोर क्षेत्रों में 591 गांव और लगभग 64,801 परिवार रहते हैं।
- टाइगर रिज़र्व की “कोर एरिया” वह क्षेत्र होता है जहां मानव गतिविधियों पर अधिकतम प्रतिबंध होता है, जबकि “बफर जोन” में कुछ नियंत्रित गतिविधियों की अनुमति दी जाती है।