बलूचिस्तान: दबी हुई आवाज़ों का प्रांत और अंतरराष्ट्रीय न्याय की अनदेखी

बलूचिस्तान: दबी हुई आवाज़ों का प्रांत और अंतरराष्ट्रीय न्याय की अनदेखी

बलूचिस्तान — पाकिस्तान का सबसे बड़ा, सबसे उपेक्षित और सबसे अधिक पीड़ा झेलता हुआ प्रांत, दशकों से एक ऐसे कब्रिस्तान में तब्दील हो चुका है जहाँ न केवल लाशें दफन होती हैं, बल्कि सैकड़ों आवाज़ें, सपने और इंसाफ की उम्मीदें भी। यह केवल संसाधनों से भरपूर भूमि नहीं, बल्कि एक ऐसा भूभाग बन चुका है जहाँ “बोलो और गायब हो जाओ” एक राजनीतिक नीति बन गई है।

गुमशुदगी की भयावह परंपरा और “किल एंड डंप” का चक्र

1948 में कलात रियासत के जबरन विलय से शुरू हुआ बलूच असंतोष धीरे-धीरे विद्रोह में बदलता गया। लेकिन 2006 में नवाब अकबर बुगती की हत्या के बाद स्थिति बेकाबू हो गई। उसके बाद पाकिस्तान की फौज और खुफिया एजेंसियों ने बलूच लोगों के आंदोलन को कुचलने के लिए “किल एंड डंप” रणनीति अपनाई — जिसमें पहले अपहरण, फिर हिरासत और अंततः लाश की बरामदगी होती है।
2011 में रिपोर्ट हुआ कि केवल आठ महीनों में 121 गोलियों से छलनी शव मिले। जलिल रेकी और संगत सना जैसे कार्यकर्ताओं की मौतें अकेले घटनाएं नहीं थीं — ये एक संगठित दमन चक्र का हिस्सा थीं जिसमें हर विरोधी को सबक सिखाया जाता है।

टोटक की सामूहिक कब्रें और औरतों की आवाज़

2014 में खुज़दार के टोटक गांव में मिली 100 से अधिक लाशों वाली अज्ञात कब्रें मानवता के खिलाफ अपराध का जीवित सबूत हैं। लेकिन आज तक कोई स्वतंत्र या विश्वसनीय जांच नहीं हुई। यह बलूचिस्तान के लिए न्याय की अनुपस्थिति और अंतरराष्ट्रीय चुप्पी का सबसे बड़ा प्रतीक है।
2023 और 2024 में, बलूच महिलाओं ने नेतृत्व संभाला। टर्बत से इस्लामाबाद तक के लंबे मार्च में डॉ. महरंग बलोच और सम्मी दीन बलोच जैसे चेहरों ने न केवल लापता अपनों के लिए न्याय की मांग की, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान इस संकट की ओर खींचा। लेकिन उन्हें भी राज्य द्वारा लाठीचार्ज, गिरफ्तारी और खामोशी की धमकी मिली।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • बलूचिस्तान का पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल में हिस्सा: लगभग 44%।
  • 2011 से अब तक COIED के पास दर्ज गुमशुदगी के मामले: 10,078; इनमें 2,752 केवल बलूचिस्तान से।
  • टोटक में 2014 में मिली सामूहिक कब्रें: 100+ अज्ञात शव, बिना किसी जांच के दफन।
  • पाकिस्तान ने अब तक ICPPED संधि (जबरन गुमशुदगी के खिलाफ) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

Originally written on September 10, 2025 and last modified on September 10, 2025.

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