बनकाचेरला जलाशय विवाद: तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में जल बंटवारे की नई जंग

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच जल विवाद एक बार फिर सतह पर आ गया है। इस बार मुद्दा है बनकाचेरला जलाशय परियोजना, जिसे लेकर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच सियासी टकराव तीव्र हो गया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने पूर्व मुख्यमंत्री और बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव को विधानसभा में बहस की खुली चुनौती दी है।
बनकाचेरला परियोजना: योजना क्या है?
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा प्रस्तावित यह परियोजना राज्य के सूखा-प्रभावित रायलसीमा क्षेत्र को उपजाऊ बनाने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- पोलावरम राइट मेन कैनाल की क्षमता को 17,500 क्यूसेक्स से बढ़ाकर 38,000 क्यूसेक्स किया जाएगा, जिससे गोदावरी का पानी कृष्णा नदी तक पहुंचाया जा सके।
- तातिपुडी लिफ्ट सिंचाई योजना की क्षमता को 1,400 से 10,000 क्यूसेक्स तक बढ़ाया जाएगा।
- गुंटूर जिले के बोल्लापल्ली में एक जलाशय बनाया जाएगा, जहां से 28,000 क्यूसेक्स पानी उठाकर बनकाचेरला तक पहुंचाया जाएगा।
- हरिश्चंद्रपुरम, लिंगापुरम, व्यंदना, गंगिरेड्डीपालेम और नाकिरेकल्लू में लिफ्ट स्टेशनों का निर्माण होगा।
- नल्लमाला जंगल से सुरंग बनाकर जल को वेलिगोंडा और बनकाचेरला जलाशयों तक ले जाया जाएगा।
नायडू का दावा है कि यह “अतिरिक्त” जल है, जिसे गोदावरी से उपयोग में लाया जा रहा है।
तेलंगाना की आपत्ति: जल अधिकारों का उल्लंघन?
तेलंगाना सरकार का कहना है कि यह परियोजना आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 का उल्लंघन करती है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री और जल शक्ति मंत्री को पत्र लिखे हैं।
प्रमुख आपत्तियां:
- परियोजना को न तो कृष्णा और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड, और न ही केंद्रीय जल आयोग से मंजूरी मिली है।
- गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण ने गोदावरी जल का 1,486 टीएमसी का बंटवारा किया था, जिसमें से तेलंगाना को 968 टीएमसी मिला। अतिरिक्त जल की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है।
- परियोजना से तेलंगाना की जल सुरक्षा और उसकी कई योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
राजनीतिक महत्व: जल से जुड़ी सियासत
रायलसीमा क्षेत्र वाईएसआर कांग्रेस का गढ़ रहा है, और नायडू इस क्षेत्र में टीडीपी की पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। जल संकट का समाधान करके उन्हें राजनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद है।
वहीं, तेलंगाना के लिए यह भावनात्मक मुद्दा है। राज्य निर्माण की लड़ाई जल बंटवारे की असमानता पर ही केंद्रित थी। ऐसे में गोदावरी जल को आंध्र प्रदेश ले जाना तेलंगाना की जनभावनाओं को आहत कर रहा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत कृष्णा और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना हुई थी।
- पोलावरम परियोजना राष्ट्रीय परियोजना है, जिसे केंद्र सरकार देख रही है।
- नल्लमाला जंगल पूर्वी घाट की पहाड़ियों का हिस्सा है और जैव विविधता से भरपूर क्षेत्र है।
- गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण (GWDT) ने 1980 में जल बंटवारे को अंतिम रूप दिया था।
बनकाचेरला जलाशय विवाद केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि तेलंगाना-आंध्र प्रदेश के बीच जल संसाधनों को लेकर पुरानी टकराहट का आधुनिक रूप है। इसका समाधान तभी संभव है जब संवैधानिक प्रावधानों का सम्मान करते हुए पारदर्शी और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर निर्णय लिया जाए।