बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण: पर्यावरण और मानवता के लिए एक वैश्विक संकट

बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण: पर्यावरण और मानवता के लिए एक वैश्विक संकट

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 (5 जून) का विषय रहा — “प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें”, जो यह दर्शाता है कि अब यह संकट केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी चिंता का विषय बन चुका है। प्लास्टिक प्रदूषण न केवल पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है, बल्कि सतत विकास के लक्ष्यों को भी खतरे में डालता है।

समस्या कितनी गंभीर है?

  • OECD की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2000 से 2019 के बीच प्लास्टिक उत्पादन दोगुना होकर 460 मिलियन टन पहुंच गया, और कचरा 353 मिलियन टन तक पहुंच गया।
  • 2024 में ही, 500 मिलियन टन प्लास्टिक का उपयोग हुआ और इससे 400 मिलियन टन कचरा उत्पन्न हुआ।
  • यदि यही रुझान जारी रहा, तो 2060 तक प्लास्टिक कचरा 1.2 बिलियन टन तक पहुंच सकता है।
  • सिर्फ 9% प्लास्टिक का पुनर्चक्रण (recycle) होता है, जबकि 22% कचरा खुली जगह, नदियों, समुद्र और मिट्टी में मिल जाता है।

Ocean Conservancy के अनुसार, हर वर्ष 11 मिलियन टन प्लास्टिक समुद्रों में प्रवेश करता है, जबकि पहले से ही 200 मिलियन टन समुद्री पर्यावरण में मौजूद है। UNEP का आकलन है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो मध्य सदी तक समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक होगा।

क्यों है प्लास्टिक इतना खतरनाक?

  • प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं होता — यह समय के साथ टूटकर माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक में बदल जाता है जो धरती के हर कोने में मिल रहा है, चाहे वो माउंट एवरेस्ट हो या समुद्र की गहराइयाँ।
  • प्लास्टिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 3.4% हिस्सा है। UNEP के अनुसार, 2040 तक प्लास्टिक उत्पादन और निपटान वैश्विक कार्बन बजट का 19% तक ले सकता है।

समाधान क्या हो सकते हैं?

  • 2022 की UN पर्यावरण सभा में सभी 193 देशों ने प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने हेतु कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक समझौते पर सहमति जताई।
  • UNEP का लक्ष्य: अगले 20 वर्षों में 80% तक प्लास्टिक कचरा कम करना

इसके लिए आवश्यक उपाय:

  • एकल-उपयोग प्लास्टिक (single-use plastic) पर तत्काल प्रतिबंध।
  • वर्जिन प्लास्टिक की जगह पुनर्चक्रित प्लास्टिक का उपयोग बढ़ाना (वर्तमान में सिर्फ 6% है)।
  • रिसाइकलिंग तकनीक में सुधार और वित्तीय रूप से लाभदायक रीसाइक्लिंग मार्केट का विकास।
  • लैंडफिल टैक्स, इंसीनेरेशन टैक्स, डिपॉज़िट-रिफंड, और पे-एज़-यू-थ्रो जैसी आर्थिक नीतियाँ लागू करना।
  • Extended Producer Responsibility (EPR) स्कीम का कड़ाई से पालन।
  • सार्वजनिक जागरूकता, मीडिया अभियानों और हरित विकल्पों (eco-friendly alternatives) को बढ़ावा देना।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • UNEP ने 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण में 80% की कटौती का लक्ष्य रखा है।
  • प्लास्टिक उद्योग पेट्रोकेमिकल फीडस्टॉक से संचालित होता है, जो जीवाश्म ईंधन आधारित है।
  • केवल 9% प्लास्टिक रीसाइक्लिंग, जबकि 50% लैंडफिल में, और 22% सीधे वातावरण में चला जाता है।
  • सिंगल-यूज़ प्लास्टिक विश्वभर में प्लास्टिक कचरे का सबसे बड़ा स्रोत है।
  • माइक्रोप्लास्टिक मानव रक्त, फेफड़ों और गर्भनाल तक में पाए जा चुके हैं।
Originally written on September 16, 2025 and last modified on September 16, 2025.

2 Comments

  1. Monica Singh

    September 19, 2025 at 11:39 am

    The root cause of garbage littering and burning is the general unscientific approach towards handling and disposal of waste.The concerned employees private or public collect it lump sum mostly .That makes it a total waste and unmanageable.We have to segregate it anyhow at source.And outside people throw plastics in soil,now imagine who will separate it from soil.The result is nobody’s job and only pollution.#save soil#save environment

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  2. Vikash Kedia

    September 22, 2025 at 6:13 pm

    I have an idea, that create lakhs of job ,even opportunity for new market for upcycle and recycle if there is proper government support

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