प्रोटीन p47: कोशिकाओं को यांत्रिक तनाव से बचाने वाला अदृश्य रक्षक

हमारी कोशिकाओं के भीतर प्रोटीन निरंतर यांत्रिक तनाव — खिंचाव, दबाव और मुड़ाव — का सामना करते हैं, जो कोशिका के भीतर परिवहन, विघटन और ढाँचागत पुनर्गठन जैसे आवश्यक कार्यों के दौरान उत्पन्न होता है। इस यांत्रिक तनाव से प्रोटीन की संरचना और कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियाँ और लैमिनोपैथीज़ जैसी आनुवंशिक विकृतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे सहायक प्रोटीन p47 की खोज की है, जो प्रोटीन को यांत्रिक तनाव से बचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

p47: केवल सहायक नहीं, एक “मैकेनिकल चैपरोन”

S. N. Bose National Centre for Basic Sciences (SNBNCBS) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में पाया गया कि p47, जिसे अब तक केवल p97 नामक प्रोटीन मशीन का सहायक माना जाता था, वास्तव में तनावग्रस्त प्रोटीन को स्थिर रखने की स्वतंत्र क्षमता रखता है। p97 एक प्रोटीन ट्रांसपोर्ट और विघटन करने वाला “पावरहाउस” है, जबकि p47 को अब तक केवल सहायक भूमिका में देखा गया था। लेकिन यह अध्ययन बताता है कि p47 एक “मैकेनिकल चैपरोन” की तरह कार्य करता है — ऐसा प्रोटीन जो तनाव की स्थिति में अन्य प्रोटीनों को मोड़ने और संरक्षित रखने में मदद करता है।

यांत्रिक परीक्षण से मिली नई समझ

वैज्ञानिकों ने सिंगल-मोलिक्यूल मैग्नेटिक ट्वीज़र्स तकनीक का उपयोग कर के p47 की भूमिका को सिद्ध किया। इस विधि से प्रोटीन अणुओं पर सटीक बल लगाकर यह देखा गया कि p47 कैसे उन प्रोटीनों से जुड़ता है जो यांत्रिक तनाव में होते हैं और उन्हें दोबारा मोड़ने में मदद करता है। यह प्रक्रिया पारंपरिक चैपरोन प्रोटीनों जैसी ही है, लेकिन यह पहली बार है जब किसी सहायक प्रोटीन में यह क्षमता देखी गई है।

एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम से प्रोटीन निष्कर्षण में भूमिका

अध्ययन में यह भी उजागर हुआ है कि p47 एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम (ER) से साइटोप्लाज्म में प्रोटीनों को निकालने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह तंग झिल्लियों के छिद्रों से प्रोटीनों को सुरक्षित निकालता है, गलत तरीके से मोड़ने की संभावना को कम करता है और ट्रांसलोकेशन की सफलता दर को बढ़ाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • p47 एक कोफैक्टर प्रोटीन है, जिसे पहले केवल p97 की सहायक इकाई माना जाता था।
  • यह पहला प्रत्यक्ष, एकल-अणु प्रमाण है कि सहायक प्रोटीन बल-निर्भर संरचनात्मक सहायता प्रदान कर सकते हैं।
  • अध्ययन SNBNCBS के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया और “Biochemistry” पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
  • यह खोज केमिकल रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया की 25वीं वर्षगांठ पर प्रकाशित विशेषांक का हिस्सा है।

p47 की यह नई खोज न केवल कोशिकीय यांत्रिकी को समझने में एक नई दिशा देती है, बल्कि चिकित्सा विज्ञान के लिए भी आशाजनक संभावनाएँ खोलती है। ऐसे रोग जिनमें प्रोटीन की संरचनात्मक स्थिरता बाधित होती है, वहाँ p47 जैसे “मैकेनिकल चैपरोन” को लक्षित कर नई उपचार विधियाँ विकसित की जा सकती हैं। यह खोज कोशिकाओं के भीतर सहायक प्रोटीनों की भूमिका को फिर से परिभाषित करती है और जीवन रक्षक चिकित्सा रणनीतियों की नींव रखती है।

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