पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस कम करने की दिशा में ठंडी श्रृंखला योजना: किसानों के लिए लाभदायक समाधान

पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस कम करने की दिशा में ठंडी श्रृंखला योजना: किसानों के लिए लाभदायक समाधान

भारत में कृषि उत्पादन के बाद होने वाले नुकसान (पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस) आज भी एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं, विशेषकर जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं जैसे फल, सब्ज़ियाँ, डेयरी उत्पाद, मांस, पोल्ट्री और मछलियों के मामले में। इन नुकसानों का सीधा प्रभाव किसानों की आय, उपभोक्ता कीमतों और खाद्य सुरक्षा पर पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) ने “एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना योजना” (ICCVAI) शुरू की है, जिसे प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के तहत शामिल किया गया है।

योजना की संरचना और उद्देश्य

ICCVAI योजना का मुख्य उद्देश्य खेत के द्वार से लेकर खुदरा विक्रेता तक एक निर्बाध ठंडी श्रृंखला तैयार करना है, जिससे किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य मिल सके और बर्बादी कम हो। इस योजना के तहत आधुनिक कोल्ड चेन अवसंरचना, तापमान नियंत्रित परिवहन, पूर्व-शीतलन इकाइयाँ, प्रसंस्करण केंद्र, और वितरण हब विकसित किए जाते हैं।
वर्ष 2016-17 में इस योजना को PMKSY के तहत पुनर्गठित किया गया, जिससे संसाधनों का समुचित उपयोग हो और डुप्लीकेशन रोका जा सके। इसके बाद से योजना में कई नीतिगत सुधार किए गए हैं।

योजना की प्रमुख विशेषताएं

  • फार्म लेवल इंफ्रास्ट्रक्चर (FLI): खेत स्तर पर कोल्ड स्टोरेज, पूर्व-शीतलन इकाइयों की स्थापना।
  • डिस्ट्रिब्यूशन हब (DH): बड़े स्तर पर भंडारण और वितरण की व्यवस्था।
  • तापमान नियंत्रित परिवहन: उत्पादों को खराब होने से बचाने के लिए रेफ्रिजरेटेड ट्रक आदि।
  • बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयाँ: खाद्य संरक्षण के लिए आयनाइजिंग रेडिएशन तकनीक का उपयोग।

पात्रता और वित्तीय सहायता

योजना एक मांग-आधारित योजना है। इसमें किसान, किसान उत्पादक संगठन (FPO), स्वयंसेवी संगठन (NGO), कंपनियाँ, सहकारी समितियाँ, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ आदि आवेदन कर सकते हैं। सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत का 35% और कठिन क्षेत्रों (जैसे उत्तर-पूर्व, जम्मू-कश्मीर, पहाड़ी क्षेत्र) में 50% तक सब्सिडी दी जाती है। प्रत्येक परियोजना को ₹10 करोड़ तक की सहायता मिल सकती है।

योजना से जुड़े सहायक सरकारी उपक्रम

  • ऑपरेशन ग्रीन्स योजना: फल और सब्ज़ियों (और झींगा) के लिए मूल्य स्थिरीकरण और कोल्ड चेन सपोर्ट।
  • मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH): कोल्ड स्टोरेज की स्थापना में सहायता।
  • नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड (NHB): 5,000 से 20,000 एमटी तक की भंडारण क्षमता के लिए सब्सिडी।
  • एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF): ₹1 लाख करोड़ की योजना जिसके तहत ₹2 करोड़ तक का ऋण और 3% ब्याज अनुदान।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ICCVAI योजना 2008 में शुरू हुई थी और 2016-17 में PMKSY के तहत पुनर्गठित की गई।
  • ऑपरेशन ग्रीन्स योजना की शुरुआत 2018-19 में टोमैटो, ओनियन और पोटैटो (TOP) फसलों के लिए हुई थी।
  • AIF योजना कृषि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने हेतु ₹1 लाख करोड़ की निधि से संचालित है।
  • अब तक (जून 2025) 395 कोल्ड चेन परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं, जिनमें से 291 चालू हो चुकी हैं।

योजना की प्रगति और नवाचार

2025 में योजना के लिए ₹1,920 करोड़ की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई, जिससे कुल बजट ₹6,520 करोड़ हो गया। NABCONS की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, योजना के तहत हस्तक्षेप से फलों, डेयरी और मत्स्य क्षेत्र में अपव्यय में उल्लेखनीय कमी आई है।
जून 2022 में योजना से फल और सब्ज़ियों को हटाकर ऑपरेशन ग्रीन्स के अंतर्गत कर दिया गया, जिससे विशेषीकृत ध्यान और बेहतर संसाधन वितरण सुनिश्चित हुआ। अगस्त 2024 में खाद्य विकिरण इकाइयों को जोड़ा गया, जो एक आधुनिक संरक्षण तकनीक है। मई 2025 में संशोधित दिशानिर्देशों ने मूल्यवर्धन और फार्म-टू-कंज़्यूमर सप्लाई चेन को और सशक्त किया।

Originally written on October 31, 2025 and last modified on October 31, 2025.

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