पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में AFSPA की अवधि बढ़ी: मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल में फिर छह महीने के लिए लागू

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में AFSPA की अवधि बढ़ी: मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल में फिर छह महीने के लिए लागू

भारत सरकार ने 26 सितंबर 2025 को एक अहम निर्णय लेते हुए मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (AFSPA) की अवधि को आगामी छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। यह अधिनियम उन क्षेत्रों में लागू किया जाता है जहाँ कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर होती है और जहाँ सशस्त्र बलों की अतिरिक्त शक्तियों की आवश्यकता मानी जाती है। इस बार का विस्तार खास तौर पर मणिपुर की बिगड़ती स्थिति और सीमावर्ती क्षेत्रों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

मणिपुर में AFSPA की वर्तमान स्थिति

मणिपुर राज्य में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा के कारण हालात अस्थिर बने हुए हैं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने पूरे मणिपुर को ‘विस्कृत क्षेत्र’ घोषित किया है, हालांकि 13 पुलिस थाना क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है। ये थाने मुख्य रूप से राज्य के पाँच वैली जिलों में आते हैं, जैसे कि इम्फाल, थौबल, और बिष्णुपुर। इससे पहले 2022-23 के बीच, मणिपुर सरकार ने राज्य के कई हिस्सों से AFSPA को हटा लिया था, लेकिन 2024 और 2025 में बढ़ती हिंसा के चलते इसे दोबारा लागू करना पड़ा है।

नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में विस्तार

नागालैंड में AFSPA को नौ जिलों और पाँच अन्य जिलों के 21 थाना क्षेत्रों में लागू किया गया है। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में यह अधिनियम तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों सहित नामसाई जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रभावी रहेगा। इन क्षेत्रों की भौगोलिक संवेदनशीलता और सीमा पार से संभावित खतरे इस विस्तार के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।

AFSPA के प्रभाव और विवाद

AFSPA सुरक्षा बलों को बिना वारंट गिरफ्तारी, तलाशी और कानून का उल्लंघन करने वालों पर बल प्रयोग की विशेष शक्तियाँ देता है। लेकिन यही शक्तियाँ विवाद का विषय भी बनती हैं। मानवाधिकार संगठनों और स्थानीय नागरिक समाज का आरोप है कि यह अधिनियम दमनकारी है और इससे नागरिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है। मणिपुर, नागालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस अधिनियम के खिलाफ समय-समय पर विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • AFSPA की शुरुआत 1958 में हुई थी और इसे पहली बार नगालैंड में लागू किया गया था।
  • मणिपुर में यह अधिनियम 1981 से प्रभावी है, जब राज्य में विद्रोह की स्थिति बढ़ी थी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि AFSPA के अंतर्गत की गई कार्रवाई भी न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकती है।
  • वर्ष 2004 में मणिपुर में AFSPA के विरोध में महिलाओं ने नग्न प्रदर्शन किया था, जो आज भी एक प्रतीकात्मक घटना मानी जाती है।
Originally written on September 29, 2025 and last modified on September 29, 2025.

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