पीएम मोदी की चीन यात्रा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में वैश्विक नेतृत्व की ओर भारत-चीन साझेदारी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस माह के अंत में चीन के तिआनजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। यह उनकी गलवान घाटी संघर्ष के बाद की पहली चीन यात्रा होगी। इस यात्रा को केवल कूटनीतिक संवाद के रूप में नहीं, बल्कि वैश्विक तकनीकी शासन—विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)—में भारत और चीन की नेतृत्वकारी भूमिका के संभावित क्षण के रूप में भी देखा जा रहा है।
बदलते वैश्विक संदर्भ में भारत-चीन सहयोग की संभावना
भले ही सीमा विवाद और पारस्परिक अविश्वास बना हुआ हो, भारत और चीन दोनों की AI को लेकर दृष्टिकोण और क्षमताएं उन्हें वैश्विक दक्षिण (Global South) की ओर से एक साझा AI शासन मॉडल विकसित करने के लिए आदर्श साझेदार बनाती हैं।
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भारत का AI दृष्टिकोण लोकतांत्रिक, समावेशी और नैतिक उपयोग पर केंद्रित है, जिसमें प्रमुख योजनाएं जैसे:
- IndiaAI मिशन (2024)
- National Strategy for AI (2018)
- AI for India 2.0 (2023)शामिल हैं।
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चीन की रणनीति बड़े पैमाने पर औद्योगिक और ढांचागत निवेश, तथा सख्त नीति-निर्माण पर केंद्रित है:
- Next-Generation AI Development Plan (2017)
- Global AI Governance Initiative (2023)
- Shanghai Declaration on AI Governance (2024)
दोनों देश डिजिटल विभाजन को कम करने, बहुभाषीय AI समाधान विकसित करने, और विकासशील देशों में तकनीकी क्षमता निर्माण को प्राथमिकता दे रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- SCO सम्मेलन 2025 तिआनजिन, चीन में हो रहा है।
- PM मोदी की यह यात्रा गलवान संघर्ष के बाद पहली चीन यात्रा है।
- भारत का AI बाज़ार 2025 तक $8 बिलियन तक पहुँचने की संभावना है।
- चीन का लक्ष्य 2030 तक AI में वैश्विक नेतृत्व प्राप्त करना है।
- Global IndiaAI Summit 2024 में 50 देशों के 12,000 विशेषज्ञ शामिल हुए थे।
- चीन की AI नीति में AI को वैश्विक सार्वजनिक वस्तु (Global Public Good) मानने का ज़ोर है।
वैश्विक AI शासन में भारत-चीन नेतृत्व की ज़रूरत क्यों?
अब तक OECD, G7, EU और UN जैसी संस्थाओं के AI दिशा-निर्देश मुख्यतः विकसित देशों की प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं। वैश्विक दक्षिण की जरूरतें—जैसे कम लागत पर AI, भाषा-आधारित समाधान, डिजिटल साक्षरता और डेटा की समता—इनमें समुचित रूप से नहीं झलकतीं।
भारत और चीन, अपने विशाल जनसंख्या आधार और तकनीकी क्षमता के साथ, एक AI शासन मॉडल पेश कर सकते हैं जो:
- नैतिकता और सुरक्षा पर आधारित हो
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा दे
- वैश्विक उत्तर के वर्चस्व को संतुलित करे
- सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप हो
संभावित उपाय और सहयोग के क्षेत्र
- द्विपक्षीय AI टास्क फोर्स: नैतिकता, सुरक्षा और तकनीकी स्थानांतरण पर केंद्रित
- Global South AI Forum: संयुक्त राष्ट्र के अधीन विकासशील देशों के हितों को समन्वित करना
- AI अनुप्रयोगों का स्थानीयकरण: स्वास्थ्य, कृषि, वित्त और शिक्षा क्षेत्रों में बहुभाषी समाधान
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की यह चीन यात्रा केवल एक कूटनीतिक संवाद नहीं, बल्कि वैश्विक तकनीकी शासन को आकार देने का एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है। यदि भारत और चीन मिलकर आगे बढ़ते हैं, तो वे न केवल वैश्विक AI नीति में दक्षिण के स्वर को शामिल कर सकते हैं, बल्कि एक समावेशी, विविधतापूर्ण और उत्तरदायी वैश्विक AI व्यवस्था की नींव भी रख सकते हैं। यह साझेदारी भविष्य की तकनीकी दुनिया की दिशा निर्धारित कर सकती है—एक ऐसी दिशा, जो केवल शक्तिशाली देशों के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए हो।