पश्चिमी यूरोप में 70 वर्षों का सबसे बड़ा डिप्थीरिया प्रकोप: प्रवासी और बेघर लोग सबसे अधिक प्रभावित

2022 से पश्चिमी यूरोप में डिप्थीरिया का जो प्रकोप शुरू हुआ, वह पिछले सात दशकों में सबसे गंभीर माना जा रहा है। यह संक्रमण मुख्य रूप से प्रवासियों और बेघर लोगों को प्रभावित कर रहा है, और इसका असर आज भी विभिन्न देशों में महसूस किया जा रहा है।

डिप्थीरिया क्या है?

डिप्थीरिया एक अत्यधिक संक्रामक जीवाणुजनित बीमारी है, जो श्वसन तंत्र और त्वचा को प्रभावित कर सकती है। यह Corynebacterium diphtheriae नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग खांसी या छींक के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। डिप्थीरिया टॉक्सिन नामक ज़हर उत्पन्न करता है, जो हृदय और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। बिना टीकाकरण वाले लोगों में डिप्थीरिया घातक हो सकता है, विशेषकर बच्चों के लिए, जहां मृत्यु दर 30% तक पहुंच सकती है।

यूरोप में प्रकोप का स्वरूप

2022 के बाद से यूरोप में सैकड़ों मामले सामने आए हैं, जिनमें तीन लोगों की मौत भी हुई है। अधिकांश मामले युवा पुरुषों में पाए गए, जिनकी औसत उम्र 18 वर्ष रही। यह देखा गया है कि ये लोग हाल ही में अफगानिस्तान और सीरिया जैसे देशों से यूरोप पहुंचे थे। हालांकि यह संक्रमण उनके देश में नहीं हुआ, बल्कि यूरोप की ओर प्रवास के दौरान या यूरोपीय देशों में उनके रहने के स्थानों पर हुआ।
प्रकोप की सबसे खास बात यह रही कि संक्रमित लोग अलग-अलग देशों से थे, लेकिन बैक्टीरिया की आनुवंशिक संरचना लगभग एक जैसी थी। इसका मतलब है कि इन लोगों के बीच किसी एक साझा स्थान पर संक्रमण फैला, संभवतः यूरोप के किसी ट्रांजिट कैंप या प्रवासी शिविर में।

स्वास्थ्य प्रणाली की चुनौतियां

डिप्थीरिया एक वैक्सीन से रोकी जा सकने वाली बीमारी है, लेकिन इसके लिए कई खुराक और समय-समय पर बूस्टर की आवश्यकता होती है। हाल के वर्षों में टीकाकरण की दर में गिरावट आई है, जिससे कमजोर वर्गों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। 2023 में भी, विश्व स्तर पर लगभग 16% बच्चों को आवश्यक टीकों की पूरी खुराक नहीं मिल पाई थी।
यूरोप के कई देशों में टीकाकरण कार्यक्रम मजबूत हैं, लेकिन प्रवासियों और बेघरों तक इन सेवाओं की पहुंच सीमित है। इसके अलावा, डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को डिप्थीरिया के लक्षणों को तुरंत पहचानने के लिए प्रशिक्षित करना भी जरूरी है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • डिप्थीरिया के लक्षण: बुखार, गले में खराश, गर्दन में सूजन, सांस लेने में कठिनाई।
  • फैलने का तरीका: संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से, या त्वचा के घावों के माध्यम से।
  • बचाव के उपाय: डिप्थीरिया-टीटेनस-पर्टुसिस (DTP) वैक्सीन, जिसमें तीन प्राथमिक खुराक और बूस्टर शामिल होते हैं।
  • उच्च जोखिम समूह: बिना टीकाकरण वाले बच्चे, प्रवासी, बेघर व्यक्ति, और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग।
  • इलाज: एंटीबायोटिक्स और डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन का उपयोग।

पश्चिमी यूरोप में डिप्थीरिया का यह प्रकोप एक चेतावनी है कि संक्रमण नियंत्रण के लिए केवल वैक्सीन उपलब्ध होना पर्याप्त नहीं है। इसे प्रभावी बनाने के लिए सभी वर्गों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित करना, जागरूकता बढ़ाना और समय पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना आवश्यक है। अगर यह सुनिश्चित नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसे प्रकोप और अधिक व्यापक रूप से फैल सकते हैं।

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