पश्चिमी घाट के दो अभयारण्यों में दुर्लभ छिपकलियों की खोज: बेंडोम की कैट स्किंक और कोटियूर डे गेको फिर से दर्ज
पश्चिमी घाट की जैव विविधता में एक महत्वपूर्ण खोज के तहत, अरालम और कोटियूर वन्यजीव अभयारण्यों में पहली बार बेंडोम की कैट स्किंक (Ristella beddomii) की उपस्थिति दर्ज की गई है। साथ ही, एक दशक पहले खोजी गई लेकिन अत्यंत संकटग्रस्त मानी जाने वाली कोटियूर डे गेको (Cnemaspis kottiyoorensis) की मौजूदगी की भी फिर से पुष्टि हुई है। यह सर्वेक्षण पश्चिमी घाट की अनूठी और नाजुक पारिस्थितिकी के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
बेंडोम की कैट स्किंक: एक दुर्लभ और स्थानिक प्रजाति
बेंडोम की कैट स्किंक, जिसे बेंडोम की रिस्टेला भी कहा जाता है, एक छोटी, लाल-भूरी रंग की छिपकली है जो अपने सिकुड़ने योग्य पंजों और दोहरी शल्कों (bicarinate scales) के लिए जानी जाती है। यह प्रजाति सामान्यतः पश्चिमी घाट के 400 से 1,300 मीटर की ऊंचाई वाले जंगलों में पाई जाती है। इसका नाम ब्रिटिश प्रकृतिवादी रिचर्ड हेनरी बेंडोम के नाम पर रखा गया है। यह प्रजाति पश्चिमी घाट की स्थानिक (endemic) और अत्यंत दुर्लभ श्रेणी में आती है।
कोटियूर डे गेको की पुनः पुष्टि
कोटियूर डे गेको, जिसे 2014 में खोजा गया था, एक अत्यंत संकटग्रस्त (Critically Endangered) प्रजाति है। वर्षों तक इसके अस्तित्व की कोई पुष्टि नहीं थी। इस बार इसे कोटियूर अभयारण्य के सूर्यमुडी वन क्षेत्र में देखा गया, जिससे इसके संरक्षण की दिशा में नई उम्मीद जगी है।
सर्वेक्षण के अन्य निष्कर्ष
इस जैव विविधता सर्वेक्षण में, छह पहले कभी न दर्ज किए गए अगामिड (Agamid) प्रजाति के छिपकलियों, चार स्किंक और पाँच गेको प्रजातियों का भी दस्तावेजीकरण किया गया। यह सर्वेक्षण 20 से 23 सितंबर के बीच अरालम वन प्रभाग के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसमें वन विभाग और मलाबार अवेयरनेस एंड रेस्क्यू सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ (MARC) की भागीदारी रही।
संरक्षण व प्रशिक्षण की दिशा में पहल
इस पहल के तहत वन कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया। प्रसिद्ध हरपेटोलॉजिस्ट डॉ. एस. आर. गणेश ने छिपकलियों की पहचान पर कार्यशाला आयोजित की, जबकि MARC के सचिव डॉ. रोशनाथ रमेश ने सर्वेक्षण तकनीकों की जानकारी दी। कार्यक्रम का उद्घाटन अरालम अभयारण्य के वलयमचल में वाइल्डलाइफ वार्डन वी. रतीशन ने किया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- बेंडोम की कैट स्किंक पश्चिमी घाट की स्थानिक और दुर्लभ छिपकली प्रजाति है।
- कोटियूर डे गेको को 2014 में खोजा गया था और अब पुनः दर्ज किया गया है।
- सर्वेक्षण में 15 से अधिक नई छिपकली प्रजातियों की उपस्थिति दर्ज की गई।
- यह सर्वेक्षण अरालम वन्यजीव डिवीजन द्वारा आयोजित किया गया था।