पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम 2025: भारत में पर्यावरण निगरानी के नए युग की शुरुआत

भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने “Environment Audit Rules, 2025” को अधिसूचित किया है, जो देश में पर्यावरणीय निगरानी और अनुपालन तंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। ये नियम पारंपरिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से परे जाकर, निजी क्षेत्र को भी पर्यावरण लेखा परीक्षा की जिम्मेदारी सौंपते हैं।
नियमों की आवश्यकता क्यों?
- वर्तमान में निगरानी का कार्य केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) और मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा किया जाता है।
- लेकिन कर्मचारियों, संसाधनों, क्षमताओं और अवसंरचना की भारी कमी के चलते वे पूरे देश में प्रभावी निरीक्षण नहीं कर पाते।
- नए नियम इन खामियों को दूर कर पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं।
पर्यावरण लेखा परीक्षा नियम 2025 की प्रमुख विशेषताएँ
- स्वतंत्र पर्यावरण लेखा परीक्षक (Environment Auditors) को प्रमाणित और पंजीकृत किया जाएगा।
- पर्यावरण लेखा परीक्षा नामित एजेंसी (EADA) द्वारा इनका प्रशिक्षण, पंजीकरण और पर्यवेक्षण किया जाएगा।
- चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की तरह, ये परीक्षक परियोजनाओं की पर्यावरणीय कानूनों के अनुपालन की जांच करेंगे।
- अनियंत्रित नियुक्ति प्रणाली लागू होगी ताकि पक्षपात और हितों के टकराव से बचा जा सके।
मुख्य भूमिका और कार्य
- परियोजनाओं द्वारा स्वयं दी गई अनुपालन रिपोर्ट का सत्यापन करना।
- ग्रीन क्रेडिट नियम, कचरा प्रबंधन नियम, वन एवं पर्यावरण कानूनों के पालन की जांच।
- नमूना परीक्षण, विश्लेषण, मुआवजा निर्धारण, और गैर-अनुपालन की जल्द पहचान।
- डिजिटल रजिस्ट्रियों के ज़रिए डेटा-संचालित निर्णय और पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नियम 2025 में अधिसूचित किए गए हैं, और MoEFCC द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे हैं।
-
नियमों के अंतर्गत दो श्रेणियाँ बनाई गई हैं:
- प्रमाणित पर्यावरण परीक्षक (CEA)
- पंजीकृत पर्यावरण परीक्षक (REA)
- नई प्रणाली ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम, ईकोमार्क सर्टिफिकेशन, और विस्तारित उत्पादक ज़िम्मेदारी (EPR) से भी जुड़ी होगी।
- एक Steering Committee, जिसकी अध्यक्षता MoEFCC के अतिरिक्त सचिव करेंगे, पूरे कार्यक्रम की निगरानी करेगी।
स्थानीय स्तर की चुनौतियाँ
हालांकि ये नियम राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी को मज़बूत करते हैं, लेकिन जिला, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर समस्याएँ बनी हुई हैं:
- यहाँ अधिकांश पर्यावरणीय उल्लंघन होते हैं, लेकिन प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी के कारण ये अक्सर नज़रअंदाज़ हो जाते हैं।
- सफल कार्यान्वयन के लिए स्थानीय प्रशासन और निगरानी तंत्र को भी सशक्त करना होगा।