पटना में जल्द शुरू होगी वॉटर मेट्रो सेवा: गंगा के किनारे बसे शहर को मिलेगी नई गति

केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हाल ही में घोषणा की कि पटना में जल्द ही वॉटर मेट्रो सेवा शुरू की जाएगी, जिससे यह शहर गंगा नदी पर अंतर्देशीय जल परिवहन का प्रमुख केंद्र बन जाएगा। यह परियोजना न केवल शहर के भीषण ट्रैफिक जाम का समाधान पेश करेगी, बल्कि पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक रूप से भी लाभकारी साबित हो सकती है।
वॉटर मेट्रो की आवश्यकता क्यों?
पटना की सड़कें लगातार जाम से जूझती हैं। गांधी सेतु, बाइपास रोड, दानापुर जैसे प्रमुख मार्गों पर भारी वाहनों का दबाव और अव्यवस्थित ट्रैफिक व्यवस्था दैनिक जीवन को प्रभावित करती है। विशेष रूप से बालू लदे ट्रकों की अनियंत्रित आवाजाही से हालात और बिगड़ते हैं। साथ ही, पटना का भौगोलिक विन्यास — गंगा, सोन और पुनपुन नदियों से घिरा होना — सड़क विस्तार की संभावनाओं को सीमित करता है। ऐसे में नदी ही परिवहन के लिए सबसे उपयुक्त संसाधन बनकर उभरती है।
क्या है वॉटर मेट्रो मॉडल?
वॉटर मेट्रो एक आधुनिक, शेड्यूल-आधारित जल परिवहन प्रणाली है, जिसमें इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड नौकाएं निश्चित स्टॉप्स से यात्रियों को ले जाती हैं। केरल के कोच्चि में 2023 में देश की पहली वॉटर मेट्रो शुरू की गई थी, जो 10 द्वीपों को मुख्यभूमि से जोड़ती है और अब तक 40 लाख से अधिक यात्रियों को सेवा दे चुकी है।
पटना में यह सेवा पूर्व-पश्चिम दिशा में गंगा के साथ चलेगी, और इसमें हाजीपुर व सोनपुर जैसे नदी पार के शहरों के लिए मार्ग शामिल हो सकते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- वॉटर मेट्रो सेवा की सफलता का पहला उदाहरण कोच्चि, केरल है, जहां इसे कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड (KMRL) ने 2023 में शुरू किया।
- पटना राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (NW-1) पर स्थित है, जो वाराणसी से हल्दिया तक 1,390 किमी लंबा जल मार्ग है।
- जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) के तहत NW-1 पर टर्मिनल निर्माण व ड्रेजिंग कार्य हो चुका है।
- पटना मेट्रो रेल की ब्लू लाइन 15 अगस्त को शुरू होने जा रही है, जिसे वॉटर मेट्रो से जोड़ा जाएगा।
परियोजना की स्थिति और चुनौतियाँ
कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड को इस परियोजना की व्यवहार्यता का अध्ययन सौंपा गया है, जिसके तहत दो चरणों में नदी की गहराई, जलस्तर, यात्री मांग और मौजूदा बुनियादी ढांचे का आकलन किया जा रहा है।
मुख्य चुनौतियाँ हैं:
- गंगा में मौसमी जलस्तर में बदलाव व सिल्ट जमाव।
- आधुनिक घाटों, टिकटिंग सिस्टम, चार्जिंग सुविधा जैसी बुनियादी संरचनाओं की कमी।
- अनियमित फेरी संचालन और सुरक्षा मानकों की अनुपस्थिति।
- कई सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की आवश्यकता।
संभावित लाभ
- ट्रैफिक से राहत: खासकर नदी किनारे बसे इलाकों से दफ्तर या स्कूल जाने वालों को सीधी और निर्बाध यात्रा सुविधा।
- पर्यावरणीय लाभ: इलेक्ट्रिक नावों से प्रदूषण में भारी कमी आएगी।
- सस्ता और सुलभ परिवहन: आम नागरिकों के लिए किफायती विकल्प।
- आर्थिक विकास: नई नौकरियां, पर्यटन में बढ़ोतरी और नदी तटों का पुनर्विकास।
दीर्घकालिक प्रभाव
वॉटर मेट्रो पटना और हाजीपुर जैसे पड़ोसी शहरों के बीच नया सामाजिक और आर्थिक पुल बन सकता है। यह परियोजना विशेष रूप से वंचित समुदायों, बुजुर्गों और दिव्यांग यात्रियों के लिए सुलभ और समावेशी परिवहन का उदाहरण पेश करेगी।
पटना के नदी किनारे बसे स्वरूप को देखते हुए वॉटर मेट्रो उसकी भौगोलिक सीमा को ताकत में बदलने की दिशा में एक निर्णायक कदम बन सकती है। अगर सफलतापूर्वक लागू होती है, तो यह न केवल पटना बल्कि पूरे देश के लिए शहरी जल परिवहन का आदर्श मॉडल बन सकती है।