पंजाब में भीषण बाढ़ की त्रासदी: प्राकृतिक आपदा या मानवीय लापरवाही?

वर्तमान में पंजाब एक अभूतपूर्व बाढ़ संकट से जूझ रहा है। राज्य सरकार ने सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित किया है। 1,900 से अधिक गाँव जलमग्न हो चुके हैं, 3.8 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और लगभग 11.7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट हो चुकी है। अब तक कम से कम 43 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।

बाढ़ के प्रमुख कारण: प्रकृति और प्रशासन दोनों जिम्मेदार

पंजाब की भौगोलिक स्थिति — पाँच नदियों की भूमि — इसे प्राकृतिक रूप से बाढ़-प्रवण बनाती है। लेकिन इस बार की तबाही सिर्फ प्रकृति की नहीं, बल्कि मानवीय प्रशासनिक चूकों की भी देन है।

  • तीन प्रमुख नदियाँ — रावी, ब्यास और सतलुज — पूरे राज्य में बहती हैं। इनके साथ मौसमी घग्गर नदी और छोटी पहाड़ी धाराएँ (चोएँ) भी बाढ़ में योगदान देती हैं।
  • अगस्त में हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में अत्यधिक वर्षा के कारण इन नदियों में 50,000 से 2,00,000 क्यूसेक तक का जलप्रवाह हुआ, जो उनकी वहन क्षमता से कहीं अधिक था।
  • रावी में माधोपुर बैराज के दो गेट टूटने से पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर जिलों में भारी जलप्रलय हुआ।
  • दक्षिण पंजाब के मालवा क्षेत्र (लुधियाना, जालंधर, रूपनगर आदि) में सतत वर्षा के कारण जलभराव से भारी नुकसान हुआ।

बांधों और बैराज की भूमिका

हर बाढ़ के समय भाखड़ा (सतलुज), पोंग (ब्यास), और रंजीत सागर (रावी) बांधों की भूमिका पर सवाल उठते हैं। ये बांध बाढ़ नियंत्रण से अधिक सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए बनाए गए हैं।

  • भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) इन बांधों का संचालन करता है।
  • वर्षा के दौरान जब जलाशय भर जाते हैं, तो उन्हें अचानक खाली करना पड़ता है, जिससे नीचे की ओर अचानक बाढ़ आ जाती है।
  • ‘रूल कर्व’ के तहत जल स्तर को नियंत्रित किया जाना चाहिए, लेकिन अचानक और अत्यधिक वर्षा की स्थिति में यह प्रणाली असफल हो जाती है।
  • पंजाब सरकार का आरोप है कि BBMB जुलाई-अगस्त में जल स्तर बहुत अधिक बनाए रखता है और राज्य को समय पर चेतावनी नहीं देता।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • पंजाब में 2024 में 45% से अधिक सामान्य से अधिक वर्षा हुई है।
  • गुरदासपुर सबसे अधिक प्रभावित जिला रहा — 329 गाँव, 1.45 लाख लोग और 40,000 हेक्टेयर भूमि प्रभावित।
  • BBMB की स्थापना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत हुई थी।
  • Thein (रंजीत सागर) बांध, जिसका संचालन पंजाब राज्य बिजली निगम करता है, से 26 अगस्त को जल छोड़ने पर रावी में भारी बाढ़ आई।
  • केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध खनन को धुसी बांधों की कमजोरी का कारण बताया।

समाधान की आवश्यकता: दीर्घकालिक रणनीति और समन्वय

विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • बांध प्रबंधन में पारदर्शिता और वैज्ञानिक अनुशासन की आवश्यकता है।
  • धुसी बांधों का सुदृढ़ीकरण, नदियों की डी-सिल्टिंग, और अत्याधुनिक चेतावनी प्रणाली स्थापित की जाए।
  • राज्य और केंद्र सरकारों के बीच बेहतर समन्वय हो ताकि समय पर निर्णय लिए जा सकें।
  • अनुमानित ₹4,000–₹5,000 करोड़ के निवेश से स्थायी समाधान संभव है, जो बार-बार की बाढ़ से होने वाले नुकसान से कहीं कम होगा।

पंजाब की बाढ़ महज एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि जब विज्ञान, नीति और प्रबंधन में सामंजस्य नहीं होता, तो जनजीवन और कृषि व्यवस्था बर्बाद हो सकती है। अब समय आ गया है कि केवल राहत कार्यों तक सीमित न रहकर बाढ़ प्रबंधन को रणनीतिक प्राथमिकता दी जाए।

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