पंजाब में ‘बाज़ अख’ एंटी-ड्रोन सिस्टम की तैनाती, ड्रग और हथियार तस्करी पर सख्त पहरा

पंजाब ने पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हो रही नशा और हथियार तस्करी पर रोक लगाने के लिए देश में पहली बार ‘बाज़ अख’ (Hawk Eye) एंटी-ड्रोन सिस्टम को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को इस प्रणाली को हरी झंडी दिखाई। यह प्रणाली बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के साथ मिलकर दूसरी सुरक्षा पंक्ति के रूप में काम करेगी।
ड्रोन तस्करी पर रोक का नया अध्याय
मुख्यमंत्री मान ने बताया कि 553 किलोमीटर लंबी भारत-पाक सीमा से नशा और हथियारों की तस्करी पंजाब के लिए गंभीर चुनौती रही है। 2024 में 283 ड्रोन और 2025 में अब तक 137 ड्रोन जब्त किए जा चुके हैं, जिनमें हेरोइन, हथियार और गोला-बारूद थे।अब 51.4 करोड़ रुपये की लागत से 9 एंटी-ड्रोन यूनिट्स स्थापित की जा रही हैं, जिनमें से 3 की तैनाती हो चुकी है और 6 जल्द ही लगाई जाएंगी। यह प्रणाली ड्रोन की सटीक लोकेशन और उसके ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन का पता लगाने और स्वचालित अलर्ट देने में सक्षम है।
‘युद्ध नशेआं विरुद्ध’ अभियान का हिस्सा
यह पहल राज्य सरकार के तीसरे चरण के ‘युद्ध नशेआं विरुद्ध’ (War Against Drugs) अभियान का हिस्सा है। स्कूल शिक्षा के स्तर पर भी नशा-रोधी पाठ्यक्रम लागू किया गया है, जिससे 9वीं से 12वीं तक के 8 लाख छात्र लाभान्वित होंगे। 3,658 सरकारी स्कूलों में इस विषय पर वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
केजरीवाल और मान का संदेश
- अरविंद केजरीवाल: ड्रग तस्करों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति, बड़े तस्करों को जेल और उनकी अवैध संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है।
- भगवंत मान: यह प्रणाली सीमावर्ती जिलों में BSF के साथ मिलकर तैनात होगी और ड्रोन गतिविधियों वाले संवेदनशील बिंदुओं पर विशेष निगरानी रखेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- BSF पहले से एंटी-ड्रोन सिस्टम का उपयोग कर रही है; पंजाब पहला राज्य है जिसने इसे अपनी राज्य पुलिस के साथ जोड़ा है।
- भारत-पाक सीमा पर ड्रोन तस्करी का मुख्य उद्देश्य हेरोइन, हथियार और गोला-बारूद पहुंचाना है।
- स्वचालित अलर्ट तकनीक से मैनुअल निगरानी की आवश्यकता समाप्त होती है।
- ‘दूसरी सुरक्षा पंक्ति’ का मतलब है — सीमा पर BSF के साथ-साथ राज्य पुलिस की तैनाती।
यह कदम पंजाब सरकार की नशा-मुक्त और सुरक्षित सीमा की दिशा में एक अहम रणनीतिक पहल है, जो तकनीक और सख्त कार्रवाई के संयोजन से ड्रग माफिया की कमर तोड़ने का लक्ष्य रखती है।