पंजाब में धान की फसल पर ‘हल्दी रोग’ का कहर: बारिश और बाढ़ से बिगड़े हालात

पंजाब में धान की फसल पर ‘हल्दी रोग’ का कहर: बारिश और बाढ़ से बिगड़े हालात

पंजाब के किसानों को इस बार मौसम की मार और बीमारियों के दोहरे संकट का सामना करना पड़ रहा है। लगातार हुई बारिश और उसके चलते आई बाढ़ के कारण किसान समय पर फसलों पर एंटी-फंगल दवा का छिड़काव नहीं कर पाए, जिससे धान की फसल में ‘हल्दी रोग’ (False Smut) का प्रकोप फैल गया है। यह रोग अब राज्यभर में धान की फसल को व्यापक रूप से नुकसान पहुंचा रहा है।

बाढ़ और रोग के दोहरे प्रहार से किसानों को भारी नुकसान

इस मुद्दे को सुल्तानपुर लोधी के विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह ने विधानसभा में उठाया, जिसमें उन्होंने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) की भूमिका पर सवाल उठाए। उनके अनुसार, विश्वविद्यालय समय रहते किसानों को चेतावनी नहीं दे पाया, जिसके चलते करीब 25% फसल प्रभावित हुई है। वहीं, दाखा के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने भी इस संकट की गंभीरता पर ध्यान दिलाया।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह रोग उस समय अधिक फैलता है जब लगातार बारिश होती है और खेतों में नमी बनी रहती है। इस बार किसानों को फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करने का मौका ही नहीं मिला, जिससे रोग ने तेजी से फैलाव किया। हालांकि PAU के पैथोलॉजिस्ट डॉ. मंदीप सिंह हुनजन के अनुसार, वास्तविक नुकसान केवल 2% के आसपास है, लेकिन खेत स्तर पर किसानों को इसकी तीव्रता कहीं अधिक महसूस हो रही है।

बाढ़ से भी हुआ व्यापक नुकसान

इस बार पंजाब के अमृतसर, तरनतारन, कपूरथला, फिरोजपुर और फाजिल्का जिलों में बाढ़ ने करीब 5 लाख एकड़ क्षेत्रफल में धान की फसल को पूरी तरह तबाह कर दिया है। इन इलाकों में खेतों पर रेत की मोटी परत जम जाने के कारण अब रबी फसल (गेहूं) की बुवाई पर भी संकट मंडरा रहा है।
पूर्व कृषि सचिव कहन सिंह पन्नू ने भी इस विषय पर चिंता व्यक्त की और कहा कि न केवल ‘हल्दी रोग’ बल्कि ‘चीनी बौना रोग’ (Chinese Dwarf Disease) का भी असर देखा गया है, जिसे अभी तक कृषि विभाग और PAU ने औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ‘हल्दी रोग’ (False Smut) एक फफूंदजनित रोग है जो धान की बालियों को प्रभावित करता है, जिससे बालियाँ पीली या नारंगी हो जाती हैं और दाने खराब हो जाते हैं।
  • पंजाब में इस साल 32.5 लाख हेक्टेयर (करीब 80 लाख एकड़) में धान की बुवाई हुई है, जिसमें से 6.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बासमती किस्म के लिए आरक्षित है।
  • राज्य सरकार ने इस खरीफ सीजन में 180 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य तय किया है।
  • अभी तक 1.96 लाख टन धान की आवक मंडियों में हो चुकी है, और 15 सितंबर से पहले ही खरीद शुरू हो चुकी है।
Originally written on October 3, 2025 and last modified on October 3, 2025.

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