नेपाल में ‘Gen Z’ का विद्रोह: सामाजिक असंतोष से लेकर सत्ता परिवर्तन तक का संकट

9 सितंबर 2025 को नेपाल में जो हुआ, वह देश की लोकतांत्रिक राजनीति में अब तक का सबसे भयावह और निर्णायक क्षण बन गया। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में युवाओं ने भ्रष्टाचार, दमन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश के खिलाफ सशक्त विद्रोह किया, जिसे ‘Gen Z आंदोलन’ कहा जा रहा है।
आंदोलन की पृष्ठभूमि: युवा वर्ग की नाराज़गी क्यों फूटी?
Nepal की राजनीतिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और जवाबदेही की कमी वर्षों से गहराती जा रही थी। लेकिन हाल ही में जब ओली सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, X, व्हाट्सएप जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, तो 1996 से 2012 के बीच जन्मे ‘Gen Z’ युवा वर्ग का गुस्सा चरम पर पहुँच गया।
- सोशल मीडिया पर ‘Nepo Babies’, ‘Corrupt Netas’ जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
- Next Generation Nepal जैसे फेसबुक पेजों ने आंदोलन को विचारात्मक दिशा दी।
- 8 सितंबर को 19 प्रदर्शनकारियों की पुलिस गोलीबारी में मौत ने आंदोलन को उग्र विद्रोह में बदल दिया।
हिंसा और आगज़नी: किसे बनाया गया निशाना?
9 सितंबर को पूरे देश में सरकारी प्रतिष्ठानों, संसद भवन, जेल, और राजनेताओं के घरों को जलाने और तोड़फोड़ की घटनाएँ हुईं।
- 5 पूर्व प्रधानमंत्री—केपी शर्मा ओली, पुष्पकमल दहाल ‘प्रचंड’, माधव कुमार नेपाल, झलनाथ खनाल, और शेर बहादुर देउबा—के घरों पर हमला हुआ।
- राज्यलक्ष्मी चित्रकार, पूर्व पीएम खनाल की पत्नी की जलने से मौत हो गई।
- अर्जु देउबा (विदेश मंत्री) और उनके पति गंभीर रूप से घायल हुए।
- नक्कू सेंट्रल जेल को जलाकर रवि लामिछाने को रिहा कर दिया गया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नेपाल में संविधान लागू होने के बाद 2008 से अब तक यह सबसे गंभीर संवैधानिक संकट है।
- सोशल मीडिया प्रतिबंध को लेकर देशव्यापी आक्रोश पैदा हुआ, जो अंततः सत्ता पलट का कारण बना।
- काठमांडू का सिंह दरबार (सरकारी मंत्रालयों का मुख्यालय) भी आगजनी की चपेट में आया।