नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index – MPI) पर रिपोर्ट प्रकाशित की
नीति आयोग ने हाल ही में भारत के “बहुआयामी गरीबी सूचकांक” (Multidimensional Poverty Index – MPI) पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की।
मुख्य बिंदु
- 2015-16 के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey – NFHS) के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई थी।
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015-16 में, भारत में हर चार में से एक व्यक्ति बहुआयामी गरीब था। यह बताता है कि, 25.01 प्रतिशत आबादी बहुआयामी गरीब थी।
MPI कैसे मापा गया?
भारत का राष्ट्रीय MPI संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) द्वारा विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत और मजबूत कार्यप्रणाली का उपयोग करके तैयार किया गया था। राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय प्रदर्शन को कड़ाई से बेंचमार्क करने के लिए MPI की निगरानी तंत्र और कार्यप्रणाली का लाभ उठाने के उद्देश्य से सूचकांक तैयार किया गया था।
2021 के लिए भारत का MPI
- UNDP और OPHI द्वारा शुरू किए गए 2021 के लिए MPI ने दिखाया कि भारत की 27.9% आबादी बहुआयामी गरीब थी।
- इस सूचकांक में 109 देशों में भारत 62वें स्थान पर था।
- पर्याप्त पोषण, बेहतर पेयजल की कमी, या कम से कम छह साल की स्कूली शिक्षा जैसे 10 संकेतकों के आधार पर यह सूचकांक तैयार किया गया था।
- रिपोर्ट में शहरों में प्रतिदिन 47 रुपये से कम खर्च करने वाले और गांवों में 32 रुपये से कम खर्च करने वाले व्यक्ति को गरीब माना गया।हालाँकि, MPI को मापने के इस दृष्टिकोण को नीति आयोग ने छोड़ दिया था।
MPI के तीन आयाम
MPI शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर जैसे तीन आयामों पर आधारित है। प्रत्येक आयाम का सूचकांक में एक-तिहाई भार होता है। इन आयामों के 12 खंडों में शामिल हैं- पोषण, प्रसवपूर्व देखभाल, बाल और किशोर मृत्यु दर, स्कूल में उपस्थिति, स्कूली शिक्षा के वर्ष, खाना पकाने का ईंधन, पेयजल, स्वच्छता, आवास, बिजली, बैंक खाते और संपत्ति।