नासा-इसरो के संयुक्त मिशन NISAR ने भेजी पृथ्वी की पहली विस्तृत तस्वीरें

नासा-इसरो के संयुक्त मिशन NISAR ने भेजी पृथ्वी की पहली विस्तृत तस्वीरें

भारत और अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग का नया उदाहरण बना है नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) मिशन, जिसने हाल ही में पृथ्वी की सतह की पहली विस्तृत तस्वीरें भेजी हैं। जुलाई 2025 में इसरो द्वारा लॉन्च किए गए इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह की निगरानी कर आपदा प्रबंधन, कृषि नियोजन और अवसंरचना निगरानी जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और व्यवहारिक जानकारी प्रदान करना है।

NISAR: विज्ञान, तकनीक और साझेदारी का संगम

NISAR उपग्रह एक संयुक्त पृथ्वी अवलोकन मिशन है, जिसमें नासा और इसरो की तकनीकी विशेषज्ञता का सामंजस्य है। इस उपग्रह में L-बैंड और S-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार लगे हैं, जो विभिन्न प्रकार की सतहों और बदलावों का अत्यंत उच्च सटीकता से अवलोकन कर सकते हैं। L-बैंड रडार को अमेरिका के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) द्वारा विकसित किया गया है, जबकि S-बैंड रडार भारत द्वारा।

भेजी गई पहली तस्वीरें: प्रकृति और मानव हस्तक्षेप का संयोजन

  • 21 अगस्त 2025: NISAR के L-बैंड रडार ने अमेरिका के मेन राज्य के माउंट डेजर्ट आइलैंड की तस्वीरें लीं। इन तस्वीरों में पानी (काले रंग में), जंगल (हरे रंग में) और कठोर सतहें जैसे इमारतें व बंजर भूमि (मैजेंटा रंग में) को दर्शाया गया है। उपग्रह की सटीकता 5 मीटर तक की वस्तुओं को पहचान सकती है।
  • 23 अगस्त 2025: नॉर्थ डकोटा राज्य के ग्रैंड फोर्क्स और वॉल्श काउंटी क्षेत्रों की तस्वीरें ली गईं, जिसमें जंगल, आर्द्रभूमियाँ और खेतों की पहचान की गई। सर्कुलर आकृतियों से सिंटर पिवट सिंचाई की तकनीक को भी रेखांकित किया गया है।

वैश्विक स्तर पर कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी

NISAR की यह क्षमता कि वह पेड़-पौधों, फसलों और मानव निर्मित ढाँचों में अंतर कर सके, इसे पर्यावरणीय निगरानी और कृषि प्रबंधन में बेहद उपयोगी बनाती है। नासा के अनुसार, इस तकनीक से वनों की वृद्धि और क्षरण, आर्द्रभूमियों की स्थिति और फसल चक्रों की निगरानी की जा सकती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • NISAR एक संयुक्त मिशन है जो नासा और इसरो द्वारा विकसित किया गया है।
  • यह उपग्रह जुलाई 2025 में इसरो द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
  • यह पृथ्वी की सतह पर 5 मीटर की सटीकता तक वस्तुओं की पहचान कर सकता है।
  • इसके L-बैंड रडार को JPL (NASA) और S-बैंड रडार को ISRO ने बनाया है।

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