नाइजीरिया की GDP में भारी वृद्धि: बेस ईयर बदलाव का असर और आगे की चुनौतियाँ

हाल ही में नाइजीरिया ने अपनी अर्थव्यवस्था के मूल्यांकन के तरीके में बदलाव करते हुए GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के आधार वर्ष को 2010 से बदलकर 2019 कर दिया। इस बदलाव के परिणामस्वरूप, देश की 2024 की GDP में लगभग $50 अरब (करीब 30%) की वृद्धि हुई और यह आंकड़ा $187 अरब से बढ़कर $243 अरब तक पहुँच गया। इससे नाइजीरिया की वैश्विक अर्थव्यवस्था रैंकिंग में भी उछाल आया और वह 58वें स्थान से 55वें स्थान पर पहुँच गया।
GDP बेस ईयर परिवर्तन क्या होता है?
GDP बेस ईयर वह वर्ष होता है जिसकी कीमतों और आर्थिक संरचना को आधार मानकर वर्तमान वर्षों की आर्थिक गणना की जाती है। समय के साथ, देश की अर्थव्यवस्था में तकनीकी विकास, नई सेवाओं की उत्पत्ति और खपत के पैटर्न में बदलाव आते हैं। इसी कारण GDP का आधार वर्ष समय-समय पर बदला जाता है, ताकि आंकड़े यथार्थ के अधिक निकट हों।
नाइजीरिया ने इस बार केवल आधार वर्ष ही नहीं बदला, बल्कि GDP की गणना में डिजिटल सेवाओं, पेंशन फंड संचालन, ई-कॉमर्स जैसे नए क्षेत्रों को भी शामिल किया। यह अब तक का सबसे व्यापक GDP रिबेसिंग माना जा रहा है।
पहले भी GDP में आया था उछाल
यह पहली बार नहीं है जब GDP बेस ईयर के बदलाव से नाइजीरिया की अर्थव्यवस्था में भारी उछाल आया है। 2014 में जब आधार वर्ष 1990 से बदलकर 2010 किया गया था, तब GDP में 89% की वृद्धि हुई थी और नाइजीरिया अफ्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था। उस समय GDP $510 अरब तक पहुँच गई थी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- GDP रिबेसिंग का उद्देश्य अर्थव्यवस्था की यथार्थ स्थिति को बेहतर ढंग से प्रदर्शित करना होता है।
- नाइजीरिया ने 2024 में GDP बेस ईयर को 2010 से बदलकर 2019 कर दिया।
- GDP अब $243 अरब आँकी गई है, जो IMF के $187 अरब के पूर्वानुमान से काफी अधिक है।
- इससे नाइजीरिया की वैश्विक रैंकिंग तीन पायदान ऊपर बढ़कर 55वीं हो गई है।
बढ़ती GDP लेकिन चिंता भी बरकरार
GDP में यह वृद्धि उत्साहजनक अवश्य है, परंतु कुछ समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई हैं। एक ओर GDP बढ़ने से कर्ज-से-GDP अनुपात 51% से घटकर 38% हो गया है, वहीं दूसरी ओर मुद्रा अवमूल्यन ने अर्थव्यवस्था को कमजोर बना दिया है। नाइजीरियन नायरा ने 2023 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 49% और 2024 में 41% गिरावट झेली है।
इसके अलावा, कृषि क्षेत्र का GDP में हिस्सा 22% से बढ़कर 26% हो गया है, जबकि औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 27.65% से गिरकर 21% हो गया है। अनौपचारिक क्षेत्र का हिस्सा भी 41.4% से बढ़कर 42.5% हो गया है, जो कि राजस्व संग्रहण और कर सुधारों की चुनौती को दर्शाता है।
आगे की राह
रिबेसिंग से देश की छवि भले ही सुधरी हो, लेकिन बुनियादी समस्याएं—जैसे महंगाई (20% से अधिक), निवेश की कमी, कृषि में असुरक्षा और जलवायु जोखिम—अब भी मौजूद हैं। राष्ट्रपति टिनुबू की 6% वार्षिक वृद्धि दर का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है जब मानव संसाधन विकास, निवेश सुधार और राजकोषीय अनुशासन जैसे क्षेत्रों में ठोस प्रगति हो।