नया आयकर विधेयक 2025: 1961 के कानून की जगह लाने वाला व्यापक सुधार

12 अगस्त 2025 को लोकसभा ने बिना बहस के आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया। यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 को पूरी तरह बदल देगा। सरकार ने इसे संसद की चयन समिति की 285 से अधिक सिफारिशों और विभिन्न हितधारकों के सुझावों को शामिल करने के बाद पुनः प्रस्तुत किया। इसके साथ ही कराधान विधियां (संशोधन) विधेयक भी पारित हुआ, जो एकीकृत पेंशन योजना के ग्राहकों को कर छूट प्रदान करता है।
नया आयकर विधेयक क्यों?
1961 का आयकर कानून दशकों से लागू है, लेकिन उसकी भाषा और संरचना आम करदाताओं के लिए जटिल रही है। नए कानून का उद्देश्य इसे सरल, स्पष्ट और डिजिटल युग के अनुरूप बनाना है।
- अब “टैक्स ईयर” की एकल अवधारणा होगी, “पिछला वर्ष” और “आकलन वर्ष” के बजाय।
- अनावश्यक और परस्पर-विरोधी प्रावधान हटाकर मुकदमेबाजी घटाई जाएगी।
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को डिजिटल युग के अनुरूप नियम बनाने की अधिक शक्तियां मिलेंगी।
प्रमुख बदलाव और संरचना
- कुल प्रावधान: 536 धाराएं और 16 अनुसूचियां।
- भाषा व प्रारूप: आसान और सुव्यवस्थित सेक्शन नंबरिंग व शब्दावली।
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करदाता-अनुकूल सुधार:
- देर से रिटर्न भरने वालों को भी रिफंड का अधिकार।
- अंतर-कॉर्पोरेट लाभांश पर ₹80 लाख कटौती की वापसी।
- NIL-TDS प्रमाणपत्र का विकल्प उन लोगों के लिए जिनकी कर देनदारी नहीं है।
- खाली मकान पर काल्पनिक किराये (Notional Rent) का कर हटा दिया गया।
- किराये की संपत्ति पर 30% मानक कटौती + नगरपालिका कर घटाने के बाद ब्याज कटौती।
- PF निकासी, अग्रिम निर्णय शुल्क, और पेनल्टी से जुड़े प्रावधान स्पष्ट।
- MSME की परिभाषा MSME अधिनियम के अनुरूप।
- पेंशन लाभ का विस्तार गैर-कर्मचारी व्यक्तियों तक।
चयन समिति की भूमिका
चार महीने की समीक्षा के बाद समिति ने 4,500 से अधिक पृष्ठों की रिपोर्ट और 285+ सिफारिशें दीं, जिनमें भाषा को सरल बनाना, प्रावधान स्पष्ट करना और अनुपालन आसान बनाना प्रमुख थे।
विशेषज्ञों की राय
- राजेश गांधी, पार्टनर, डेलॉइट इंडिया: विदेशी पेंशन और संप्रभु कोषों के लिए बुनियादी ढांचा निवेश पर कर लाभ यथावत हैं, लेकिन कुछ उद्योग सुझाव जैसे लाभांश पर दोहरी कराधान से राहत और बिना सूचीबद्ध बॉन्ड/डिबेंचर पर पूंजीगत लाभ छूट नहीं जोड़ी गई।
- दिनेश कनाबर, CEO, ध्रुवा एडवाइजर्स: LLPs पर वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) हटाना, चैरिटेबल ट्रस्ट पर कड़े प्रावधानों को हटाना, और ट्रांसफर प्राइसिंग से जुड़ी परिभाषाओं में ढील जैसे सुधार स्वागतयोग्य हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- आयकर अधिनियम, 1961 1 अप्रैल 1962 से लागू हुआ था।
- CBDT (Central Board of Direct Taxes) प्रत्यक्ष करों का प्रशासनिक प्रबंधन करता है।
- “टैक्स ईयर” की अवधारणा भारत में पहली बार लागू होगी।
- चयन समिति की 285+ सिफारिशों में से लगभग सभी को नए विधेयक में शामिल किया गया है।