‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना: ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की तकनीकी पहल

कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने और ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में केंद्र सरकार ने ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना को एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में स्वीकृति दी है। इस योजना के तहत 2023-24 से 2025-26 तक की अवधि में 15,000 ड्रोन महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को वितरित किए जाएंगे, जिसके लिए कुल ₹1261 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है।
योजना के प्रमुख उद्देश्य
- कृषि में आधुनिक तकनीक का उपयोग: ड्रोन के माध्यम से फसल छिड़काव, निगरानी और डेटा संग्रहण जैसे कार्य संभव होंगे जिससे लागत में कमी और उत्पादकता में वृद्धि होगी।
- महिला SHGs को सेवा प्रदाता बनाना: ड्रोन संचालन के माध्यम से महिलाओं को अतिरिक्त आय और स्थायी आजीविका का साधन मिलेगा।
ड्रोन पैकेज और प्रशिक्षण
- केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता: प्रति ड्रोन पैकेज पर 80% अनुदान, अधिकतम ₹8 लाख तक।
- प्रशिक्षण: SHG की एक सदस्य को 15 दिनों का ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और एक अन्य सदस्य को 5 दिन का सहायक प्रशिक्षण DGCA द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में दिया जाता है।
- ड्रोन पैकेज में शामिल: एक स्टैंडर्ड बैटरी सेट और अतिरिक्त चार बैटरियाँ।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- योजना की शुरुआत 2023-24 में हुई और यह 2025-26 तक चलेगी।
- अभी तक कुल 1094 ड्रोन वितरित किए जा चुके हैं, जिनमें से 500 ड्रोन ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत दिए गए हैं।
- ड्रोन एक एकड़ खेत को 7-8 मिनट में कवर करता है; बैटरी की औसत फ्लाइट टाइम 5-20 मिनट होती है।
व्यवहार्यता अध्ययन के निष्कर्ष
बेंगलुरु स्थित एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन सेंटर (ADRTC) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार:
- ड्रोन ने SHG सदस्यों की दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि की है।
- ड्रोन का उपयोग SHG की गतिविधियों को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़ रहा है।
- 42.68% ड्रोन दीदीज़ को परिवहन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा, विशेष रूप से दक्षिण भारत में (78.82%)।
- 68.66% ने निजी वाहन किराए पर लेने को महंगा बताया।
परिवहन समस्या का समाधान
परिवहन की समस्या को देखते हुए कृषि यंत्रीकरण पर उप-कार्य मिशन (SMAM) के तहत SHGs को मल्टी-यूटिलिटी वाहन खरीदने के लिए भी 80% वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिससे ड्रोन का परिवहन सुगम हो सके।
‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना ग्रामीण भारत में महिलाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाकर न केवल कृषि क्षेत्र में नवाचार ला रही है, बल्कि आजीविका के नए अवसर भी प्रदान कर रही है। यह पहल भारत के कृषि भविष्य को आधुनिक बनाने और ‘विकास भी, विरासत भी’ के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।