‘नक्शा’ पायलट योजना: उत्तर प्रदेश में शहरी भू-अभिलेखों की पारदर्शिता और सटीकता की ओर कदम

‘नक्शा’ पायलट योजना: उत्तर प्रदेश में शहरी भू-अभिलेखों की पारदर्शिता और सटीकता की ओर कदम

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ‘नक्शा’ पायलट योजना का उद्देश्य उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में शहरी भू-अभिलेखों को सुलभ, सटीक और पारदर्शी बनाना है। सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी ने बताया कि यह योजना शहरी नियोजन को सुव्यवस्थित करने, आधारभूत संरचना के विकास को बढ़ावा देने और संपत्ति के स्वामित्व को स्पष्ट करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

उत्तर प्रदेश में ‘नक्शा’ योजना का विस्तार

वर्ष 2024-25 में इस योजना को देशभर के 27 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों की 157 नगरीय स्थानीय निकायों में लागू किया गया है। उत्तर प्रदेश के 10 शहर — टांडा (अंबेडकर नगर), नवाबगंज (बाराबंकी), अनुपशहर (बुलंदशहर), चित्रकूट धाम (चित्रकूट), गोरखपुर, हरदोई, झाँसी, चुनार (मिर्जापुर), पूरनपुर (पीलीभीत) और तिलहर (शाहजहाँपुर) — इसमें शामिल हैं।
इस योजना के अंतर्गत अत्याधुनिक हवाई और मैदानी सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग करके शहरी भूमि के भूखंडों का GIS-आधारित डाटाबेस तैयार किया जा रहा है।

पारदर्शी स्वामित्व और नियोजन की दिशा में कदम

मनोज जोशी ने बताया कि शहरी निकायों द्वारा कर संग्रहण के लिए बनाए गए भू-अभिलेख स्वामित्व के अधिकारों की पुष्टि के लिए अपर्याप्त हैं। नक्शा योजना के अंतर्गत तैयार किए गए भू-अभिलेख स्वामित्व की स्थिति को स्पष्ट रूप से परिभाषित करेंगे। इससे न केवल संपत्ति खरीद-बिक्री में धोखाधड़ी रुकेगी, बल्कि विवादों के निपटारे में भी न्यायिक प्रक्रिया आसान होगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • नक्शा योजना को 157 नगरीय निकायों में पायलट रूप में लागू किया गया है।
  • उत्तर प्रदेश की 22.27% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है, जो 2031 तक 40% तक पहुँचने की संभावना है।
  • योजना के अंतर्गत भूखंडों को GIS तकनीक से चिन्हित कर Geo-Aadhaar (ULPIN) नंबर दिया जा रहा है।
  • भू-अभिलेखों को आधार से जोड़ने की योजना भी क्रियान्वित की जा रही है जिससे एक क्लिक में पूरी जानकारी उपलब्ध होगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में भी डिजिटलीकरण की पहल

मनोज जोशी ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग ने ग्रामीण भूमि प्रबंधन को तकनीक से जोड़ते हुए खसरा, खतौनी और नक्शों का डिजिटलीकरण पूरा कर लिया है। प्रत्येक भूखंड को जियो-आधारित ULPIN नंबर प्रदान किया गया है, जिससे उसमें स्वामित्व, आकार, और स्थान संबंधी सभी जानकारी जुड़ी होती है।
इस प्रणाली से रियल एस्टेट लेन-देन, संपत्ति कर निर्धारण, आपदा योजना और वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता में मदद मिल रही है।
राजस्व मामलों के निपटारे के लिए ऑनलाइन कोर्ट प्रबंधन प्रणाली भी सक्रिय है, जिससे वादी और प्रतिवादी अपने मामले की स्थिति की जानकारी घर बैठे ले सकते हैं।
‘स्वामित्व योजना’ के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण के माध्यम से भूमि अभिलेख तैयार किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण परिवार अपनी संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के रूप में उपयोग कर ऋण और अन्य लाभ प्राप्त कर सकें।
नक्शा योजना और डिजिटल भू-अभिलेख प्रणाली न केवल पारदर्शी प्रशासन का आधार बनेगी, बल्कि नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण का भी साधन सिद्ध होगी।

Originally written on June 14, 2025 and last modified on June 14, 2025.

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