दिल्ली में बढ़ती गर्मी: स्वास्थ्य, आजीविका और अवसंरचना पर गंभीर असर, दीर्घकालिक समाधान की जरूरत

दिल्ली में हाल के वर्षों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे गंभीर हीट स्ट्रेस (गर्मी तनाव) की स्थिति बन चुकी है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य, आजीविकाएं, शहरी अवसंरचना और पर्यावरण पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। सबसे अधिक प्रभावित वे समूह हैं जो गरीब, बेघर या खुले में काम करने वाले हैं।

बढ़ती गर्मी के आंकड़े और प्रभाव

  • 2025 का फरवरी और मार्च अब तक के सबसे गर्म रहे।
  • 2015–24 के बीच, गर्मियों (मार्च-जुलाई) में 50 में से 42 बार तापमान सामान्य से अधिक रहा।
  • दिल्ली का 76% क्षेत्र पिछले एक दशक में गर्मी तनाव से प्रभावित रहा है।
  • दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली जैसे नजफगढ़, पालम, द्वारका, महिपालपुर आदि सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र हैं।

‘हीट स्ट्रेस’ वाले प्रमुख क्षेत्र

  • 10 वार्ड पूरी तरह गर्मी तनावग्रस्त हैं: बाजार सीताराम, बल्लीमारान, तुर्कमान गेट, आदि।
  • 78 वार्ड ऐसे हैं जहाँ 90% से अधिक क्षेत्र गर्मी से प्रभावित है। इन इलाकों में ग्रीन कवर 1.5% से भी कम है।
  • केवल 23 वार्ड ऐसे हैं जहाँ 25% से कम क्षेत्र प्रभावित है, जैसे सीआर पार्क, मालवीय नगर, मेहरौली आदि — ये क्षेत्र हरियाली या जलस्रोतों के करीब हैं।

सबसे कमजोर समूह

  • बच्चे, वृद्ध, महिलाएं, बेघर, निर्माण मज़दूर, फुटपाथ विक्रेता, आदि अत्यधिक प्रभावित हैं।
  • दिल्ली की 80% श्रमशक्ति अनौपचारिक क्षेत्र में है, जो अत्यधिक जोखिम में है।

नीति और योजनाएं

  • वर्तमान में अधिकांश योजनाएं केवल तत्काल राहत पर केंद्रित हैं, जैसे पीने का पानी, कार्य समय में बदलाव, अस्पताल व्यवस्था।
  • दीर्घकालिक समाधान जैसे शहरी नियोजन, शीतलन (cooling) डिज़ाइन, वृक्षारोपण आदि की योजनाएँ अभी तक प्रभावी रूप से कार्यान्वित नहीं हुई हैं।
  • दिल्ली हीट वेव एक्शन प्लान 2025 के अंतर्गत ठंडी छतों (Cool Roofs) की पहल शुरू हुई है, पर इसे गरीब बस्तियों तक ले जाना जरूरी है।

क्या करने की जरूरत है?

  1. हीट रेसिलिएंस के लिए शहरी योजना:

    • पेड़-पौधे, हरित पट्टियाँ, छायादार सड़कें बढ़ाना।
    • जल-संवेदनशील डिज़ाइन (rain gardens, fountains, evaporative wind towers) को अपनाना।
  2. वास्तु और निर्माण स्तर पर परिवर्तन:

    • भवनों में सफेद/प्रतिबिंबित पेंट, शेडिंग डिवाइसेज़, ठंडी और हरित छतें।
    • बस्तियों में पॉलीयूरेथेन इंसुलेशन, बांस चटाई, सौर छत जैसे उपाय।
  3. सेवाएं और संरचनात्मक उपाय:

    • सुरक्षित जल, शौचालय, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं।
    • शीतलन केंद्र, अस्थायी आश्रय, आपात राहत किट की व्यवस्था।
  4. धन और संस्थागत समर्थन:

    • निर्माण श्रमिक कल्याण निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0, क्लाइमेट बॉन्ड्स, एडाप्टेशन फंड्स जैसे संसाधनों का उपयोग।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 2025 में दिल्ली ने सबसे गर्म फरवरी और मार्च का अनुभव किया।
  • 2015-2024 के बीच गर्मियों में 76% क्षेत्र हीट स्ट्रेस की चपेट में रहा।
  • ‘हीट स्ट्रेस’ का अर्थ है जब सतही तापमान 45°C से ऊपर कई वर्षों तक बना रहे।
  • दिल्ली की 80% वर्कफोर्स अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है।

दिल्ली की गर्मी अब केवल मौसमी परेशानी नहीं, बल्कि एक स्थायी शहरी संकट बन चुकी है। इससे निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर लक्षित योजना और दीर्घकालिक नीति समावेशन की तत्काल आवश्यकता है।

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