दिल्ली में जैव विविधता की नई उड़ान: डैमेलफ्लाइ और ड्रैगनफ्लाइ की संख्या में 54% की वृद्धि

दिल्ली में जैव विविधता की नई उड़ान: डैमेलफ्लाइ और ड्रैगनफ्लाइ की संख्या में 54% की वृद्धि

दिल्ली के सात डी.डी.ए. जैव विविधता पार्कों में हुए नवीनतम सर्वेक्षण में एक सुखद संकेत सामने आया है — डैमेलफ्लाइ और ड्रैगनफ्लाइ की कुल संख्या में 54% की वृद्धि दर्ज की गई है। यह तीन दिवसीय गणना 25 से 27 सितंबर के बीच आयोजित की गई, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 8,630 से बढ़कर 13,253 की गिनती हुई। इसके अलावा, इस वर्ष एक नई प्रजाति भी दर्ज की गई है, जो इस पारिस्थितिकीय संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक मानी जा रही है।

प्रमुख पार्कों में संख्या और प्रजातियों में वृद्धि

कई जैव विविधता पार्कों में न केवल कुल संख्या बढ़ी है, बल्कि प्रजातियों की विविधता में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया है:

  • कमला नेहरू रिज: 3,935 ड्रैगनफ्लाइ, 26 प्रजातियाँ (पिछले वर्ष 25)
  • कालिंदी: 3,682 ड्रैगनफ्लाइ, 20 प्रजातियाँ (पिछले वर्ष 14)
  • अरावली: 2,249 ड्रैगनफ्लाइ, 16 प्रजातियाँ (पिछले वर्ष 10)
  • यमुना जैव विविधता पार्क: 1,730 ड्रैगनफ्लाइ, 21 प्रजातियाँ (स्थिर)
  • तुगलकाबाद: 1,061 ड्रैगनफ्लाइ, 14 प्रजातियाँ (पिछले वर्ष 12)
  • नीला हौज: 523 ड्रैगनफ्लाइ, 15 प्रजातियाँ (पिछले वर्ष 5)
  • टिलपथ वैली: 73 ड्रैगनफ्लाइ, 6 प्रजातियाँ (पिछले वर्ष 7)

नई प्रजाति: येलो-टेल्ड ऐशी स्किमर

इस बार सर्वेक्षण में यमुना जैव विविधता पार्क में पहली बार Yellow-tailed Ashy Skimmer (Potamarcha congener) को दर्ज किया गया है। यह प्रजाति सामान्यतः उत्तर और उत्तर-पश्चिमी मैदानों में पाई जाती है, लेकिन दिल्ली में यह पहली बार देखी गई है। वैज्ञानिक प्रभारी डॉ. फैयाज़ खुदसर के अनुसार, यह नई उपस्थिति दिल्ली के वेटलैंड इकोसिस्टम की गुणवत्ता और पुनर्प्राप्ति की ओर सकारात्मक संकेत देती है।

पारिस्थितिकीय संकेतक के रूप में ड्रैगनफ्लाइ

ड्रैगनफ्लाइ और डैमेलफ्लाइ को बायोइंडिकेटर प्रजातियाँ माना जाता है — इनका अस्तित्व साफ, ऑक्सीजन युक्त जल पर निर्भर करता है। इनके लार्वा और वयस्क दोनों ही मच्छरों के बड़े शिकारी होते हैं। एक ड्रैगनफ्लाइ प्रतिदिन 30 से 100 मच्छर खा सकता है, जिससे यह जलजनित रोगों की रोकथाम में मददगार होता है।

मॉनसून और जलाशयों का प्रभाव

इस वर्ष की अच्छी वर्षा ने अस्थायी जलाशयों (ephemeral water bodies) को जन्म दिया, जिससे इन प्रजातियों का प्रजनन सफल हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, इस वर्ष जलभराव के बावजूद डेंगू, मलेरिया जैसे रोग अपेक्षाकृत कम देखे गए हैं, जिसका श्रेय आंशिक रूप से इन कीटभक्षी प्रजातियों को दिया जा सकता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • दिल्ली में लगभग 51 प्रजातियों की ड्रैगनफ्लाइ और डैमेलफ्लाइ (ओडोनेट्स) पाई जाती हैं।
  • इस वर्ष ड्रैगनफ्लाइ की गिनती में 54% वृद्धि दर्ज की गई है।
  • Yellow-tailed Ashy Skimmer को दिल्ली में पहली बार देखा गया।
  • ये प्रजातियाँ स्वच्छ जल और स्वस्थ वेटलैंड पारिस्थितिकी का संकेतक मानी जाती हैं।

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