दिल्ली एयरपोर्ट पर GPS स्पूफिंग का संकट: उड़ानों में क्यों आई बाधा
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGIA) पर हाल ही में ऐसी घटनाएं सामने आईं जिन्होंने देश के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक की संचालन व्यवस्था को चुनौतीपूर्ण बना दिया। यह संकट “GPS स्पूफिंग” नामक तकनीकी गड़बड़ी से उत्पन्न हुआ, जिसमें नकली सैटेलाइट संकेतों के कारण विमानों की सटीक स्थिति बिगड़ गई। इस समय IGIA का प्रमुख रनवे 10/28 ILS (इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम) के कैटेगरी III अपग्रेड के कारण बंद है, जिससे विमानों को GPS पर आधारित RNP (रिक्वायर्ड नेविगेशन परफॉर्मेंस) तकनीक पर अधिक निर्भर रहना पड़ रहा है।
GPS स्पूफिंग क्या है और यह क्यों खतरनाक है
GPS स्पूफिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें नकली उपग्रह संकेतों को प्रसारित कर विमानों के नेविगेशन सिस्टम को गुमराह किया जाता है।
- यह जामिंग से भिन्न है, क्योंकि जामिंग केवल संकेतों को अवरुद्ध करता है, जबकि स्पूफिंग सिस्टम को गलत लेकिन विश्वासयोग्य संकेत प्रदान करता है।
- विमान के फ़्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम और एवियोनिक्स यदि इन गलत संकेतों को सही मान लें, तो विमान वास्तविक मार्ग से भटक सकता है।
- इससे न केवल चेतावनी अलार्म ट्रिगर होते हैं बल्कि पायलटों को उपग्रह-आधारित प्रक्रिया छोड़कर पारंपरिक या वैकल्पिक उपाय अपनाने पड़ते हैं।
दिल्ली की उड़ानों पर क्यों पड़ा प्रभाव
IGIA पर परिचालन जटिल हो जाता है जब पूर्वी हवाओं के कारण विमानों को द्वारका की दिशा से लैंड करना होता है और वसंत कुंज की ओर टेकऑफ करना पड़ता है।
- इस कॉन्फ़िगरेशन में ट्रैफिक घनत्व और हवाई दूरी की सीमाएँ काफी कम हो जाती हैं।
- स्पूफिंग के संकेत 60 नॉटिकल मील दूर तक देखे गए, जिससे आगमन प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता प्रभावित हुई।
- नतीजतन, कई विमानों को जयपुर जैसे वैकल्पिक हवाई अड्डों की ओर डायवर्ट करना पड़ा या उन्हें दोबारा उड़ान भरनी पड़ी।
- IGIA पर प्रतिदिन 1,550 तक विमान परिचालन होते हैं, जिससे थोड़ी सी तकनीकी गड़बड़ी भी बड़े स्तर पर देरी और बाधा का कारण बनती है।
ILS अपग्रेड और GPS पर बढ़ी निर्भरता
IGIA का मुख्य रनवे वर्तमान में ILS कैटेगरी III प्रणाली के उन्नयन के कारण निष्क्रिय है।
- इससे विमानों को RNP एप्रोच प्रक्रिया अपनानी पड़ रही है जो पूरी तरह GPS संकेतों की सटीकता और अखंडता पर आधारित होती है।
- जब स्पूफिंग से ये संकेत प्रभावित होते हैं, तो RNP एप्रोच अविश्वसनीय हो जाती है और पायलटों को दृश्य संकेतों या वैकल्पिक नेविगेशन विधियों का सहारा लेना पड़ता है।
- ILS कैटेगरी III सिस्टम सक्रिय होने के बाद अत्यंत कम दृश्यता में भी सुरक्षित लैंडिंग संभव हो जाएगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- स्पूफिंग नकली GPS संकेतों के ज़रिए नेविगेशन को भ्रमित करता है; जामिंग केवल संकेतों को बाधित करता है।
- RNP एप्रोच की विश्वसनीयता GPS सिग्नल की सटीकता और सत्यापन पर निर्भर करती है।
- ILS कैटेगरी III प्रणाली घने कोहरे जैसी स्थितियों में भी लैंडिंग संभव बनाती है।
- दिल्ली हवाई अड्डे पर स्पूफिंग की यह पहली रिपोर्ट की गई घटना है; पूर्व में यह केवल संघर्ष क्षेत्रों में देखी गई थी।
उठाए जा रहे सुरक्षा उपाय और आगे की योजना
विमान चालकों को ATIS (Automatic Terminal Information Service) के ज़रिए सतर्क किया जा रहा है कि वे संकेतों की सत्यता की जांच करें और संदिग्ध स्थिति में पारंपरिक नेविगेशन अपनाएं।