दक्षिणी महासागर की छुपी गर्मी: जलवायु संकट का अगला चरण
वैज्ञानिकों ने दक्षिणी महासागर के नीचे एक विशाल मात्रा में छुपी गर्मी का पता लगाया है, जिसे उन्होंने “थर्मल टाइम बम” यानी ‘ऊष्मीय समय बम’ कहा है। यह गर्मी सदियों से मानव गतिविधियों के कारण जमा होती रही है और भविष्य में अचानक बाहर आकर वैश्विक तापमान में तेज़ वृद्धि का कारण बन सकती है, भले ही उत्सर्जन में गिरावट क्यों न हो जाए।
जलवायु संतुलन में महासागर की भूमिका
दक्षिणी महासागर, जो अंटार्कटिका को घेरे हुए है, पिछले सौ वर्षों से पृथ्वी की गर्मी को अवशोषित करता आ रहा है।
- यह महासागर अब तक मानव गतिविधियों से उत्पन्न 90% से अधिक अतिरिक्त गर्मी को समेट चुका है।
- साथ ही, यह वायुमंडल से लगभग 25% कार्बन डाइऑक्साइड को भी अवशोषित करता है।
- इस ऊर्जा को गहराई में संग्रहीत कर यह पृथ्वी को चरम मौसम से बचाता है और बर्फ पिघलने की प्रक्रिया को धीमा करता है।
लेकिन हाल की खोजों से पता चलता है कि यह संतुलन हमेशा के लिए नहीं टिकेगा।
‘बर्प फेज’: अचानक गर्मी का विस्फोट
University of Victoria और जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में यह निष्कर्ष निकला है कि जैसे-जैसे उत्सर्जन घटेगा, महासागर संचित गर्मी को अचानक बाहर निकाल सकता है — जिसे वैज्ञानिकों ने “Burp Phase” नाम दिया है।
- UVic v2.9 जलवायु मॉडल के अनुसार, यह प्रभाव औद्योगिक युग की तेज़ गर्मी वृद्धि के समान हो सकता है।
- महत्वपूर्ण बात यह है कि यह तापमान वृद्धि बिना किसी अतिरिक्त CO₂ उत्सर्जन के भी संभव है।
महासागरीय गर्मी बाहर निकलने की प्रक्रिया
इस प्रक्रिया की शुरुआत तब होती है जब महासागर की धाराएं बदलने लगती हैं।
- पहले, ठंडा गहराई वाला पानी ऊपर आता था, लेकिन अब पिघलती बर्फ और तीव्र धूप गर्मी को गहराई में भेज रही है।
- इससे महासागर की सतह के नीचे एक विशाल ऊष्मा भंडार बन गया है।
- जैसे ही वातावरण का तापमान गिरता है, यह संचित गर्मी ऊपर लौटकर वातावरण में घुलने लगती है और एक नई वैश्विक ऊष्मीकरण लहर को जन्म देती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- • दक्षिणी महासागर ने मानवजनित अतिरिक्त गर्मी का 90% सोख रखा है।
- • भविष्य की इस गर्मी विस्फोट घटना को वैज्ञानिकों ने ‘Burp Phase’ कहा है।
- • अध्ययन में UVic v2.9 क्लाइमेट मॉडल का उपयोग किया गया।
- • यह घटना एक और सदी भर लंबा ऊष्मीकरण दौर शुरू कर सकती है।
वैश्विक और पारिस्थितिकीय प्रभाव
इस तरह की अचानक गर्मी निकलने की घटना के गंभीर प्रभाव हो सकते हैं:
- अंटार्कटिक समुद्री बर्फ पिघल सकती है, जिससे समुद्र स्तर और बढ़ सकते हैं।
- वैश्विक मौसम प्रणालियाँ अस्थिर हो सकती हैं — विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में सूखा और चक्रवात जैसी चरम घटनाएँ बढ़ सकती हैं।
- समुद्री पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होंगे, जिससे ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रवाह में बाधा आ सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि Net Zero उत्सर्जन तक पहुँच जाना ही पर्याप्त नहीं है। महासागर की धीमी प्रतिक्रिया प्रक्रिया से भविष्य की पीढ़ियों को भी जलवायु संकट से जूझना पड़ सकता है।