तमिलनाडु में ग्रेटर फ्लेमिंगो सैंक्चुअरी की घोषणा: प्रवासी पक्षियों और जैव विविधता संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर तमिलनाडु सरकार ने रामनाथपुरम जिले के धनुषकोडी क्षेत्र को ‘ग्रेटर फ्लेमिंगो सैंक्चुअरी’ घोषित कर दिया है। यह कदम न केवल प्रवासी पक्षियों के संरक्षण में मील का पत्थर है, बल्कि राज्य के तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

संरक्षण क्षेत्र और उसका महत्व

धनुषकोडी स्थित यह नया अभयारण्य 524.7 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है, जिसमें राजस्व और वन भूमि दोनों शामिल हैं। यह क्षेत्र ‘गोल्फ ऑफ मन्नार बायोस्फीयर रिज़र्व’ का हिस्सा है, जो मैन्ग्रोव, दलदल, कीचड़ वाले तट, और रेत के टीलों जैसे पारिस्थितिकी तंत्रों का समर्थन करता है। यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए एक प्रमुख विश्राम स्थल है, विशेषकर ‘सेंट्रल एशियन फ्लाईवे’ पर स्थित होने के कारण।
2023–24 की वेटलैंड बर्ड सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, धनुषकोडी में 10,700 से अधिक वेटलैंड पक्षी दर्ज किए गए, जिनमें 128 प्रजातियाँ शामिल थीं — जैसे हेरोन, एग्रेट, सैंडपाइपर और ग्रेटर तथा लेसर फ्लेमिंगो।

राज्य सरकार की अन्य जैव विविधता पहलें

तमिलनाडु सरकार ने बजट 2025-26 में कई अन्य संरक्षण परियोजनाओं की घोषणा भी की:

  • रैप्टर्स रिसर्च फाउंडेशन: शिकारी पक्षियों (ईगल, हॉक, गिद्ध आदि) के संरक्षण के लिए ₹1 करोड़ की राशि के साथ नई शोध संस्था का गठन।
  • बायोडायवर्सिटी पार्क: तिरुवन्नामलई जिले के चेंगम क्षेत्र में 1000 हेक्टेयर में फैले जैव विविधता पार्क की स्थापना, जिसमें स्थानीय पेड़ों की पुनर्स्थापना और पारिस्थितिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  • मरीन रिसोर्स फाउंडेशन: ₹50 करोड़ की लागत से तमिलनाडु के 1,076 किमी तटीय क्षेत्र की रक्षा हेतु एक समर्पित संस्था की घोषणा, जो मैन्ग्रोव संरक्षण और सतत मछली पकड़ने की प्रथाओं पर कार्य करेगी।
  • ब्लू फ्लैग प्रमाणन योजना: तिरुवनमियूर और उत्तंडी सहित छह समुद्र तटों को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण मानकों के अनुरूप विकसित करने हेतु ₹24 करोड़ का प्रावधान।
  • वन सड़कों का आधुनिकीकरण: ₹250 करोड़ की लागत से 500 किमी वन सड़कों का उन्नयन, जिससे वन प्रबंधन और आदिवासी समुदायों को लाभ मिलेगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • धनुषकोडी: रामेश्वरम द्वीप के सिरे पर स्थित एक ऐतिहासिक ‘घोस्ट टाउन’, जो पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है।
  • गोल्फ ऑफ मन्नार बायोस्फीयर रिजर्व: भारत का पहला समुद्री जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र, जो जैव विविधता से परिपूर्ण है।
  • सेंट्रल एशियन फ्लाईवे: प्रवासी पक्षियों की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय उड़ान मार्गों में से एक।
  • मैन्ग्रोव प्रजातियाँ: ‘Avicennia’ और ‘Rhizophora’ — जो तटीय कटाव से रक्षा और जैव विविधता को सहारा देती हैं।
  • ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन: समुद्र तटों की स्वच्छता, पर्यावरणीय सुरक्षा और पर्यटन सुविधाओं के लिए दिया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र।

तमिलनाडु सरकार की यह घोषणाएं पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने, जैव विविधता के संरक्षण और सतत विकास के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ग्रेटर फ्लेमिंगो सैंक्चुअरी की स्थापना न केवल पक्षी प्रेमियों के लिए सुखद समाचार है, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।

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