तमिलनाडु का ‘करियाचल्ली द्वीप’ पुनरुद्धार अभियान: समुद्री पारिस्थितिकी और आजीविका संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम

तमिलनाडु सरकार ने ‘वाण द्वीप’ के सफल पुनरुद्धार के बाद अब ‘करियाचल्ली द्वीप’ के संरक्षण एवं पुनरुद्धार का कार्य शुरू किया है। यह पहल ‘तमिलनाडु सस्टेनेबली हार्नेसिंग ओशन रिसोर्सेज (TNSHORE)’ परियोजना के तहत हो रही है, जिसमें राज्य सरकार और विश्व बैंक द्वारा ₹50 करोड़ का संयुक्त वित्त पोषण किया गया है। यह प्रयास तमिलनाडु वन विभाग, आईआईटी-मद्रास और सुगंथी देवदासन समुद्री अनुसंधान संस्थान (SDMRI) के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।

करियाचल्ली द्वीप: एक संकटग्रस्त समुद्री पारिस्थितिकी

गुल्फ ऑफ मन्नार समुद्री राष्ट्रीय उद्यान में स्थित करियाचल्ली द्वीप, भारत के चार प्रमुख प्रवाल भित्ति क्षेत्रों में से एक का हिस्सा है। यह द्वीप कभी 20.85 हेक्टेयर क्षेत्रफल का था (1969), जो घटकर अप्रैल 2025 में मात्र 3.14 हेक्टेयर (उच्च ज्वार के समय) और 4.12 हेक्टेयर (निम्न ज्वार के समय) रह गया है। यह ह्रास प्रवाल खनन, तटीय कटाव और अवसादन की कमी के कारण हुआ, जिसने द्वीप की पारिस्थितिकी को गहराई से प्रभावित किया है।

बहुउद्देशीय कृत्रिम भित्तियों से पुनरुद्धार

द्वीप के पुनरुद्धार के लिए 8,500 बहुउद्देशीय कृत्रिम भित्तियों (Artificial Reef Modules) को स्थापित किया जाएगा। इनका डिजाइन द्वीप की भौगोलिक संरचना के अनुसार किया गया है। यह न केवल द्वीप को तटीय कटाव से बचाएंगे, बल्कि प्रवाल भित्तियों और समुद्री घास जैसे पारिस्थितिक तंत्रों का पुनर्निर्माण करेंगे। इसके साथ ही यह जैव विविधता को बढ़ावा देंगे और मत्स्य संसाधनों को भी संरक्षित करेंगे।

स्थानीय समुदाय की भागीदारी

इस परियोजना में 300 से अधिक स्थानीय समुदाय के सदस्यों को भी शामिल किया गया है, जिससे न केवल पर्यावरणीय पुनरुद्धार होगा बल्कि सामाजिक-आर्थिक लाभ भी सुनिश्चित होंगे। इससे मत्स्य पालन पर निर्भर समुदायों की आजीविका को भी सशक्त बनाया जाएगा।

वैज्ञानिक मूल्यांकन और पारिस्थितिकीय समन्वय

आईआईटी मद्रास द्वारा लहर गतिशास्त्र, तलछट रचना (बाथीमेट्री) और पर्यावरणीय-सामाजिक प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। SDMRI के निदेशक जे.के. एडवर्ड पैटरसन के अनुसार, प्रवाल भित्तियों और समुद्री घास की बहाली से न केवल समुद्री जैवविविधता में वृद्धि होगी, बल्कि द्वीप के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच भी निर्मित होगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • गुल्फ ऑफ मन्नार: भारत के चार प्रमुख प्रवाल भित्ति क्षेत्रों में से एक; इसमें 21 निर्जन द्वीप शामिल हैं।
  • प्रवाल भित्तियाँ (Coral Reefs): तटीय कटाव से रक्षा करने के साथ-साथ जैव विविधता और मत्स्य उत्पादन में योगदान करती हैं।
  • Artificial Reef Modules: कृत्रिम संरचनाएं जो समुद्री जीवन को आश्रय देती हैं और समुद्री पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखती हैं।
  • TNSHORE परियोजना: समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने हेतु तमिलनाडु सरकार की पहल।

करियाचल्ली द्वीप का यह संरक्षण प्रयास न केवल एक पारिस्थितिकीय पहल है, बल्कि यह तटीय समुदायों की आजीविका सुरक्षा, जैव विविधता संवर्धन और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की दिशा में एक प्रेरणादायक मॉडल प्रस्तुत करता है। यह परियोजना भारत के समुद्री संरक्षण अभियानों में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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