डिजिटल सीमाओं से परे: UPI-UPU एकीकरण से अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली में भारत का नया कदम

दुबई में आयोजित 28वीं यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस के दौरान संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने “UPI-UPU एकीकरण परियोजना” का उद्घाटन किया। यह परियोजना न केवल तकनीकी नवाचार है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर वित्तीय समावेशन को सशक्त बनाने वाला सामाजिक संकल्प भी है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय धन प्रेषण प्रणाली को तेज, सुरक्षित और किफायती बनाना है।
UPI-UPU एकीकरण क्या है?
इस परियोजना के अंतर्गत भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) के इंटरकनेक्शन प्लेटफॉर्म (UPU-IP) से जोड़ा गया है। यह एक ऐसा डिजिटल चैनल बनाता है जो विश्वभर के पोस्टल नेटवर्क की पहुंच को UPI की गति और सस्ती सेवा के साथ जोड़ता है। इस एकीकरण से उन करोड़ों परिवारों को फायदा होगा जो अंतरराष्ट्रीय धन प्रेषण पर निर्भर रहते हैं।
क्यों है यह महत्वपूर्ण?
अंतरराष्ट्रीय प्रेषण लंबे समय से ऊँचे शुल्क, धीमी प्रक्रिया और सीमित पहुंच जैसी समस्याओं से जूझता रहा है। UPI-UPU एकीकरण इन बाधाओं को तोड़ते हुए सस्ती, त्वरित और व्यापक पहुंच वाली व्यवस्था प्रदान करता है। यह कदम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में से एक — 2030 तक वैश्विक प्रेषण लागत को 3% से नीचे लाने — की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
भारत की डिजिटल उपलब्धियाँ और वैश्विक योगदान
सिंधिया ने अपने संबोधन में भारत की डिजिटल प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि देश में Aadhaar, Jan Dhan और India Post Payments Bank के माध्यम से 56 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, जिनमें अधिकांश महिलाओं के नाम पर हैं। वहीं, 2024-25 में UPI के माध्यम से 185 अरब से अधिक लेन-देन हुए, जिनका कुल मूल्य $2.83 ट्रिलियन रहा — जो वैश्विक डिजिटल भुगतान का लगभग आधा है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- UPI-UPU एकीकरण का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय प्रेषण को तेज, सस्ता और सुरक्षित बनाना है।
- यह परियोजना भारत के डाक विभाग, NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड और UPU के सहयोग से शुरू हुई है।
- भारत ने डिजिटल भुगतान और ई-कॉमर्स क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने हेतु $10 मिलियन निवेश की घोषणा की है।
- भारत UPU की काउंसिल ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन और पोस्टल ऑपरेशन्स काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश कर चुका है।
- यह पहल संयुक्त राष्ट्र के SDG लक्ष्य के अनुरूप है जो 2030 तक वैश्विक प्रेषण लागत को 3% से कम करने का लक्ष्य रखता है।
इस एकीकरण से भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए अंतरराष्ट्रीय लेनदेन उतना ही सरल हो जाएगा जितना एक टेक्स्ट भेजना। वहीं, वैश्विक डाक नेटवर्क के लिए यह एक नई राजस्व धारा और सामाजिक दायित्व के रूप में उभरकर सामने आएगा। भारत इस परियोजना के माध्यम से दुनिया को यह दिखा रहा है कि जब डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को वैश्विक रूप से जोड़ा जाए, तो इसका लाभ मानवता के हर वर्ग तक पहुंचाया जा सकता है।