झारखंड में आयुष्मान भारत योजना संकट में: भुगतान में देरी से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित

झारखंड में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के तहत स्वास्थ्य सेवाओं का भविष्य अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। राज्य के अस्पतालों को लंबित भुगतानों के कारण वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिससे गरीब मरीजों की स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो रही हैं।
भुगतान में देरी और अस्पतालों की स्थिति
राज्य के 750 अस्पतालों में से 212 को पिछले एक वर्ष से कोई भुगतान नहीं मिला है, जबकि शेष 538 अस्पतालों को फरवरी 2025 से भुगतान लंबित है। कुल लंबित राशि ₹190 करोड़ से अधिक है। इस वित्तीय दबाव के चलते हजारीबाग, कोडरमा, पलामू और देवघर जैसे जिलों के कई अस्पतालों ने योजना से बाहर होने की घोषणा की है।
अनियमितताओं की जांच और तकनीकी समस्याएं
राष्ट्रीय एंटी फ्रॉड यूनिट (NAFU) ने 212 अस्पतालों में अनियमितताओं की पहचान की है, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अप्रैल 2025 में झारखंड के 21 स्थानों पर छापेमारी की। इसके अलावा, नए वेब पोर्टल HEM 2.0 की तकनीकी खामियों के कारण भी भुगतान में देरी हो रही है।
सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने आश्वासन दिया है कि जिन अस्पतालों के खिलाफ जांच नहीं चल रही है, उन्हें शीघ्र ही भुगतान किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अनियमितताओं में लिप्त अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक विवाद
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर योजना के क्रियान्वयन में विफलता का आरोप लगाया है, जबकि स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब में कहा कि कई जांचाधीन अस्पताल भाजपा नेताओं से जुड़े हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- योजना की शुरुआत: आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत 23 सितंबर 2018 को रांची, झारखंड से हुई थी।
- बीमा कवरेज: योजना के तहत प्रति परिवार ₹5 लाख तक का वार्षिक स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है।
- लाभार्थी: झारखंड में लगभग 28 लाख परिवार इस योजना के तहत पंजीकृत हैं।
- भुगतान प्रणाली: अस्पतालों को सेवाओं के लिए सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाती है, लेकिन हालिया अनियमितताओं और तकनीकी समस्याओं के कारण भुगतान में देरी हो रही है।
झारखंड में आयुष्मान भारत योजना की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। भुगतान में देरी और तकनीकी समस्याओं के कारण अस्पतालों की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, जिससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कि वह शीघ्र ही लंबित भुगतानों का निपटारा करे और तकनीकी खामियों को दूर करे, ताकि योजना का उद्देश्य पूरा हो सके और सभी नागरिकों को सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।