जीएसटी 2.0: भारत की कर प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव की ओर

3 सितंबर 2025 को हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक भारतीय कर इतिहास में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुई है। यह केवल कर दरों में परिवर्तन भर नहीं है, बल्कि एक व्यापक प्रणालीगत सुधार है जो ‘विकसित भारत 2047’ की आकांक्षाओं के अनुरूप, सरल, न्यायसंगत और विकासोन्मुख कर ढांचे की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है।
सरल और दो-दर आधारित जीएसटी संरचना
जीएसटी स्लैब की पुरानी जटिलता (5%, 12%, 18%, और 28%) को हटाकर अब केवल तीन दरें निर्धारित की गई हैं — स्टैंडर्ड रेट 18%, मेरिट रेट 5% और कुछ विशिष्ट वस्तुओं के लिए 40% डी-मेरिट रेट। यह बदलाव कर अनुपालन को सरल बनाता है, व्यापारियों के लिए भविष्यवाणी योग्य वातावरण तैयार करता है और नागरिकों के लिए कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाता है। इससे भारत की कर प्रणाली को वैश्विक मानकों के करीब लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
आम लोगों को सीधा लाभ
साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, साइकिल और रसोई के बर्तन जैसी दैनिक आवश्यक वस्तुएँ अब 5% के स्लैब में आ गई हैं, जबकि यूएचटी दूध, पनीर, चपाती और पराठा जैसी मूलभूत खाद्य वस्तुओं को पूरी तरह से करमुक्त कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, पैकेज्ड फूड, नूडल्स, चॉकलेट और पेय पदार्थों पर दरों में कटौती की गई है जिससे सभी आय वर्गों के परिवारों को राहत मिलेगी।
बीमा और स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी सुधार
सभी जीवन और स्वास्थ्य बीमा उत्पादों को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है, जिससे ये सेवाएँ विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और निम्न आय वर्ग के लिए अधिक सुलभ हो सकेंगी। कैंसर, दुर्लभ रोगों और दीर्घकालिक बीमारियों के उपचार हेतु आवश्यक दवाओं और उपकरणों पर कर में कटौती या छूट प्रदान कर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को सशक्त किया गया है।
किसानों और पारंपरिक उद्योगों के लिए राहत
कृषि क्षेत्र के लिए ट्रैक्टर, मशीनरी, उर्वरक और इनपुट जैसे सल्फ्यूरिक एसिड और अमोनिया पर जीएसटी दर को 18% से घटाकर 5% किया गया है। इससे खेती की लागत घटेगी और उत्पादकता में वृद्धि होगी। वहीं, हस्तशिल्प, संगमरमर, ग्रेनाइट और चमड़े के उत्पाद जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में भी जीएसटी दरों में कमी कर रोजगार को प्रोत्साहित किया गया है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक 3 सितंबर 2025 को आयोजित हुई।
- जीएसटी को अब तीन दरों में विभाजित किया गया है: 5%, 18% और 40% (डी-मेरिट रेट)।
- सभी जीवन और स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ अब जीएसटी से मुक्त हैं।
- सीमेंट पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% किया गया, जिससे बुनियादी ढांचे और आवास क्षेत्र को बल मिलेगा।
इन सुधारों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये केवल तकनीकी परिवर्तन नहीं, बल्कि “जन-आधारित सुधार” हैं। ये नागरिकों, किसानों, श्रमिकों, उद्योगों और उद्यमियों सभी को प्रभावित करते हैं। जीएसटी 2.0 न केवल भारत की आर्थिक नींव को सुदृढ़ करता है, बल्कि इसे एक सरल, सुलभ और भरोसेमंद कर प्रणाली की ओर अग्रसर करता है। यदि इन सुधारों का सही ढंग से क्रियान्वयन हुआ, तो यह भारत को व्यापार के लिए विश्व के सबसे सरल और अनुकूल देशों में शुमार कर देगा।