जीएसटी सुधार: घटे हुए कर दरों से उद्योगों को राहत, लेकिन राजस्व पर चिंता

हाल ही में 3 सितंबर को जीएसटी काउंसिल ने अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में बड़े बदलाव को मंजूरी दी। इस बैठक में कई वस्तुओं पर कर दरों को कम किया गया और कर संरचना को सरल बनाया गया। सरकार ने इसे “अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार” बताया है, जिसे प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में “दीपावली उपहार” के रूप में घोषित किया था।

नई जीएसटी दरों की संरचना

अब तक जीएसटी की मुख्य दरें 0%, 5%, 12%, 18% और 28% थीं, साथ ही 28% से ऊपर कुछ वस्तुओं पर क्षतिपूर्ति उपकर (Cess) भी लगता था। सुधार के बाद इसे घटाकर 0%, 5%, 18% और 40% तक सीमित किया गया है।

  • तंबाकू उत्पादों को छोड़कर अधिकांश वस्तुओं पर से क्षतिपूर्ति उपकर हटा दिया गया है।
  • 453 वस्तुओं में कर दरों का बदलाव किया गया, जिनमें से 413 वस्तुओं पर कर घटा और केवल 40 वस्तुओं पर कर बढ़ा।
  • 257 वस्तुएँ, जिनमें दैनिक उपयोग की चीजें शामिल हैं, को 12% से घटाकर 5% पर लाया गया है।

किन क्षेत्रों को लाभ मिला

स्वास्थ्य क्षेत्र ने 12% से 5% पर कर घटने का स्वागत किया, जिससे मरीजों को सीधे लाभ होगा। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उपकरणों पर कर कम होने से स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहन मिलेगा। रियल एस्टेट सेक्टर को सीमेंट पर कर 28% से घटकर 18% होने से राहत मिलेगी। वहीं ऑटोमोबाइल क्षेत्र में गैर-लक्ज़री कारों और बाइकों पर कर 18% होने से मांग बढ़ने की उम्मीद है।

किन्हें नुकसान की चिंता

टेक्सटाइल उद्योग ने ऊनी और शादी के कपड़ों पर 18% कर बनाए रखने पर नाराज़गी जताई। एयरलाइंस ने नॉन-इकोनॉमी सीटों पर बढ़े कर का विरोध किया। बीमा कंपनियों ने कहा कि टैक्स क्रेडिट हटने से उनकी लागत बढ़ सकती है। एमएसएमई क्षेत्र ने श्रम सेवाओं पर कर 12% से 18% किए जाने पर चिंता जताई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • जीएसटी (Goods and Services Tax) 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ था।
  • यह “वन नेशन, वन टैक्स” की अवधारणा पर आधारित है।
  • जीएसटी काउंसिल में केंद्र और राज्यों दोनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
  • भारत में जीएसटी की शुरुआत के समय 4 मुख्य दरें तय की गई थीं – 5%, 12%, 18% और 28%।

राजस्व और भविष्य की चुनौती

सरकार का अनुमान है कि इन सुधारों से लगभग ₹48,000 करोड़ का राजस्व प्रभाव पड़ेगा, जबकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इसे केवल ₹3,700 करोड़ आंका है। राज्यों ने राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त उपकर की मांग की, जिसे काउंसिल ने स्वीकार नहीं किया। अब राज्यों को अपने स्तर पर समाधान खोजना होगा।
अंततः कहा जा सकता है कि यह सुधार उपभोक्ताओं और कई उद्योगों के लिए राहत लेकर आया है। हालांकि, इससे राज्यों की आय पर असर पड़ सकता है। आने वाले महीनों में यह साफ होगा कि यह कदम अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाने में कितना कारगर साबित होता है।

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