जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों से संकट में सुंदरबन, संरक्षण स्थिति में गिरावट

भारत का प्रसिद्ध सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है, संरक्षण के दृष्टिकोण से एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा जारी “वर्ल्ड हेरिटेज आउटलुक 4” रिपोर्ट के अनुसार, इस उद्यान की संरक्षण स्थिति वर्ष 2020 में ‘कुछ चिंताओं के साथ अच्छा’ से गिरकर 2025 में ‘गंभीर चिंता’ के स्तर पर पहुंच गई है। यह गिरावट न केवल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चेतावनी है, बल्कि भारत की जैवविविधता की सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर संदेश है।
संकट के मुख्य कारण
IUCN की रिपोर्ट में सुंदरबन को प्रभावित करने वाले कई गंभीर खतरे सूचीबद्ध किए गए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- लवणता और भारी धातु प्रदूषण: समुद्री जल के अतिक्रमण से मिट्टी की लवणता बढ़ रही है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है।
- अस्थिर संसाधन दोहन: स्थानीय संसाधनों का अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग जैवविविधता पर नकारात्मक असर डाल रहा है।
- जलवायु परिवर्तन: समुद्र स्तर में वृद्धि और बार-बार आने वाले तूफानों से मैंग्रोव वनों की विविधता प्रभावित हो रही है।
- रोगजनक हमले: खासकर बांग्लादेश के हिस्से में ‘टॉप डाइंग’ रोग से मैंग्रोव प्रणाली संकटग्रस्त है।
एशिया में संरक्षण के बदलते रुझान
रिपोर्ट के अनुसार, एशिया में अब शिकार नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। इसके बाद पर्यटन, बाहरी प्रजातियों का अतिक्रमण, सड़क और रेल परियोजनाएं प्रमुख खतरे हैं। भूमि की उच्च मांग, अवैध कटाई, कचरा निपटान, अतिक्रमण, और विकास परियोजनाएं संरक्षित क्षेत्रों के भीतर भी आवास विनाश का कारण बन रही हैं।
भारत के अन्य विश्व धरोहर स्थलों की स्थिति
- गंभीर चिंता: मानेस राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिमी घाट
- कुछ चिंता के साथ अच्छा: ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान, काजीरंगा, केवलादेव, नंदा देवी और वैली ऑफ फ्लावर्स
- अच्छा: केवल कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन क्षेत्र है।
- IUCN-WCPA द्वारा 2025 में जारी “World Heritage Outlook 4” रिपोर्ट में सुंदरबन की स्थिति ‘Significant Concern’ बताई गई है।
- जलवायु परिवर्तन अब 228 प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों में सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बन चुका है।
- 2020 की तुलना में 2025 में रोगजनक खतरे वाले स्थलों की संख्या केवल 2 से बढ़कर 19 हो गई है।