जम्मू-कश्मीर में 10,637 करोड़ रुपये की अधोसंरचना परियोजनाएं: रणनीतिक सुरक्षा और कनेक्टिविटी की नई पहल

भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सड़क और सुरंगों से जुड़ी 19 बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनकी कुल लागत 10,637 करोड़ रुपये है। इनमें से चार परियोजनाएं विशेष रूप से रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। ये परियोजनाएं जम्मू और कश्मीर घाटी के बीच संपर्क को सुदृढ़ करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा तैयारियों को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम हैं।

पीर की गली सुरंग (मुगल रोड पर)

सुरंग की लंबाई: 9 किलोमीटरलागत: ₹3,830 करोड़
यह सुरंग ऐतिहासिक मुगल रोड पर चट्टा पानी (पुंछ) और ज़ज़नार (शोपियां) के बीच बनाई जाएगी। मुगल रोड वर्तमान में सर्दियों में बर्फबारी के कारण बंद हो जाती है, जिससे घाटी और जम्मू के बीच संपर्क टूट जाता है। यह सुरंग इस मार्ग को हर मौसम में चालू रखने में मदद करेगी।

ज़ज़नार-शोपियां सड़क

लंबाई: 28 किलोमीटरलागत: ₹836 करोड़
यह सड़क पीर की गली सुरंग से जुड़कर शोपियां तक पहुंचेगी। यह प्रस्तावित सुरनकोट-शोपियां-बारामुला हाईवे का हिस्सा होगी, जो घाटी के भीतर वैकल्पिक परिवहन मार्ग प्रदान करेगी और मौजूदा NH44 पर निर्भरता को कम करेगी।

साधना सुरंग (कुपवाड़ा)

लंबाई: 7 किलोमीटरलागत: ₹3,330 करोड़
यह सुरंग कुपवाड़ा और एलओसी के पास स्थित करनाह को जोड़ेगी। वर्तमान में यह मार्ग सर्दियों में भारी बर्फबारी और हिमस्खलन के कारण कई महीनों तक बंद रहता है। सुरंग बनने के बाद यह क्षेत्र पूरे साल सुलभ रहेगा, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की आवाजाही और रसद की आपूर्ति निर्बाध हो सकेगी।

त्रेहगाम-चामकोट सड़क (कुपवाड़ा)

लंबाई: 68 किलोमीटरलागत: ₹966 करोड़
यह सड़क कुपवाड़ा से टीटवाल तक जाएगी, जो नियंत्रण रेखा का अंतिम बिंदु है। सड़क की मरम्मत और विस्तार से सीमा क्षेत्र में संपर्क और रक्षा तैयारियों को मज़बूती मिलेगी।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • मुगल रोड एक ऐतिहासिक मार्ग है जो श्रीनगर को लाहौर से जोड़ता था; यह वर्तमान में श्रीनगर को पुंछ और राजौरी से जोड़ता है।
  • NH44 कश्मीर घाटी को जम्मू से जोड़ने वाला एकमात्र प्रमुख राजमार्ग है; इसलिए वैकल्पिक मार्ग की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी।
  • बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) अब पीर की गली और साधना सुरंग परियोजनाओं को निष्पादित करेगा, जिससे रणनीतिक परियोजनाओं में गति आएगी।
  • प्रस्तावित सुरनकोट-शोपियां-बारामुला हाईवे की लंबाई 300 किलोमीटर होगी, जो सीमावर्ती क्षेत्रों तक तत्काल पहुँच सुनिश्चित करेगा।

यह अधोसंरचना विकास न केवल जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए बेहतर संपर्क का माध्यम बनेगा, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति और सीमावर्ती रणनीति के तहत भी एक अहम कड़ी सिद्ध होगा। ये परियोजनाएं विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रतीक हैं।

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