जम्मू-कश्मीर में उजागर हुआ अंतर्राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हाल ही में एक बड़े आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो न केवल भारत के कई राज्यों में फैला था, बल्कि इसकी जड़ें पाकिस्तान और अन्य देशों तक जुड़ी हुई थीं। यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसर ग़ज़वत-उल-हिंद (AGuH) जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा पाया गया। विशेष बात यह रही कि इस नेटवर्क में डॉक्टरों जैसे शिक्षित पेशेवर भी शामिल थे, जो “व्हाइट कॉलर” आतंकवाद की एक नई प्रवृत्ति को दर्शाता है।
छापेमारी और जांच की शुरुआत
19 अक्टूबर को श्रीनगर के बुनपोरा, नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर मिलने के बाद पुलिस ने एक व्यापक जांच शुरू की। यह मामला यूएपीए (UAPA) के तहत दर्ज किया गया और डिजिटल फॉरेंसिक, निगरानी तथा अंतरराज्यीय समन्वय के माध्यम से जांच आगे बढ़ी। पुलिस ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में छापेमारी कर कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया और भारी मात्रा में विस्फोटक व हथियार बरामद किए।
गिरफ्तारियां और प्रमुख आरोपी
अब तक आठ संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें फारिदाबाद के अल-फलाह अस्पताल के डॉक्टर मुजम्मिल शकील और अनंतनाग मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर आदिल अहमद राठर शामिल हैं। एक महिला डॉक्टर को भी हिरासत में लिया गया, जिसकी कार से एक राइफल बरामद की गई। इसके अलावा श्रीनगर, शोपियां और गांदरबल के एक इमाम व अन्य सहयोगियों को भी पकड़ा गया है। सीसीटीवी फुटेज से यह भी पुष्टि हुई कि आदिल अहमद राठर उन स्थानों पर मौजूद थे जहाँ धमकी वाले पोस्टर चिपकाए गए थे।
बरामदगी: विस्फोटक, हथियार और डिजिटल साक्ष्य
पुलिस ने लगभग 2,900 किलोग्राम आईईडी बनाने की सामग्री जब्त की है, जिसमें दिल्ली के पास से मिले 350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल हैं। इसके अलावा टाइमर, सर्किट, बैटरियाँ, रिमोट ट्रिगर और विदेशी निर्मित पिस्तौल (जैसे इतालवी बेरेटा) तथा क्रिंकोव-टाइप असॉल्ट राइफलें बरामद की गईं। डिजिटल डिवाइसों से आतंकी वित्त पोषण और आईईडी निर्माण से जुड़ी मैनुअल फाइलें भी मिली हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- जांच के दौरान आठ आरोपियों को जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया।
- लगभग 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की गई, जिसमें 350 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट शामिल था।
- 19 अक्टूबर को श्रीनगर में जेईएम पोस्टर मिलने के बाद जांच शुरू हुई।
- आतंकी नेटवर्क ने भर्ती और संचार के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप्स का इस्तेमाल किया।
कानूनी कार्रवाई और सुरक्षा निहितार्थ
इस मामले में यूएपीए, भारतीय न्याय संहिता, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं। जांच एजेंसियाँ अब फंडिंग चैनलों की पहचान कर रही हैं ताकि दानदाताओं, शेल संस्थानों और सीमा-पार निर्देशों को उजागर किया जा सके। पुलिस जब्त किए गए डिजिटल उपकरणों से मिले सुरागों के आधार पर सीमा पार के “हैंडलर्स” और स्लीपर सेल नेटवर्क का मानचित्र तैयार कर रही है।