जमशेदपुर में ‘क्रिटिकल मेटल्स’ पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहयोग की नई दिशा

जमशेदपुर में ‘क्रिटिकल मेटल्स’ पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहयोग की नई दिशा

क्रिटिकल मेटल्स यानी आवश्यक धातुओं की आपूर्ति, उपयोग और सुरक्षा को लेकर 2025 में जमशेदपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों और उद्योग प्रतिनिधियों ने व्यापक मंथन किया। सम्मेलन का केंद्रबिंदु था — टिकाऊ और सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला के लिए वैश्विक साझेदारी, प्रौद्योगिकीय संप्रभुता, और खनिज संसाधनों की आत्मनिर्भरता।

रणनीतिक सुरक्षा के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के संयुक्त सचिव लेखन ठक्कर ने अपने संबोधन में कहा कि “अब सहयोग विकल्प नहीं, आवश्यकता बन चुका है।” उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पारदर्शिता और विश्वास पर आधारित आपूर्ति श्रृंखलाएँ, वैश्विक स्थिरता और आपसी विकास के लिए अनिवार्य हैं।
उन्होंने कहा कि क्रिटिकल मेटल्स — जैसे लिथियम, कोबाल्ट, और रेयर अर्थ एलिमेंट्स — न केवल आर्थिक और औद्योगिक प्रगति में निर्णायक हैं, बल्कि क्षेत्रीय भू-राजनीति और तकनीकी प्रतिस्पर्धा को भी प्रभावित करते हैं।

औद्योगिक तत्परता और खनन में साझेदारी

यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (UCIL) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कंचम आनंद राव ने बताया कि उनकी कंपनी क्रिटिकल मिनरल्स के खनन में साझेदारी के लिए तैयार है। यह पहल भारत की खनिज आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जो वैश्विक संसाधन अर्थव्यवस्था में भारत की भागीदारी को सशक्त करेगी।

तकनीकी संप्रभुता और आत्मनिर्भर भारत

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) – राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (NML) के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने क्रिटिकल मेटल्स में तकनीकी आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में इन धातुओं की भारी निर्भरता है और अनुसंधान एवं नवाचार ही दीर्घकालिक संसाधन सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
उन्नत निष्कर्षण और रीसाइक्लिंग तकनीकें इस दिशा में परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • क्रिटिकल मेटल्स पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2025 में जमशेदपुर में आयोजित हुआ।
  • NSCS के लेखन ठक्कर और CSIR-NML के डॉ. संदीप घोष चौधरी ने सम्मेलन को संबोधित किया।
  • UCIL ने खनिज निष्कर्षण में साझेदारी के लिए तत्परता जताई।
  • सम्मेलन में 350 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया और नीति, तकनीक तथा व्यापार पर चर्चा की।

नवाचार और वैश्विक शोध सहयोग

पेन स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका के सेंटर फॉर क्रिटिकल मिनरल्स (C2M) के निदेशक डॉ. शर्मा वी. पिसुपति ने नवाचार और सहयोगपरक शोध की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्वदेशी तकनीकों के उपयोग और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए अनुसंधान-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी।
सम्मेलन के आयोजन समिति प्रमुख संजय कुमार ने बताया कि 350 से अधिक प्रतिभागियों ने तकनीकी, नीति और व्यापारिक आयामों पर गहन चर्चा की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि सीमा-पार सहयोग ही टिकाऊ और सुरक्षित क्रिटिकल मेटल आपूर्ति श्रृंखला का आधार बन सकता है।

Originally written on November 7, 2025 and last modified on November 7, 2025.

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