जबरन विस्थापित लोगों की संख्या पहुँची 122.1 मिलियन: युद्ध, अस्थिरता और कम होती मदद चिंता का विषय

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी UNHCR की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 के अंत तक दुनिया भर में जबरन विस्थापित लोगों की संख्या 122.1 मिलियन तक पहुँच गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि वैश्विक स्तर पर मानवीय संकट गहराता जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब अंतरराष्ट्रीय सहायता धनराशि में भारी कटौती की जा रही है।
युद्ध और संघर्ष: विस्थापन का प्रमुख कारण
UNHCR की “ग्लोबल ट्रेंड्स” रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के अंत तक दुनिया भर में 123.2 मिलियन लोग अपने घरों से जबरन विस्थापित हो चुके थे — यानी वैश्विक आबादी में से हर 67वां व्यक्ति। हालाँकि, 2025 के पहले चार महीनों में यह संख्या एक मिलियन कम हुई है, जिसका प्रमुख कारण सीरिया में राजनीतिक परिवर्तन के बाद नागरिकों की घर वापसी है।
वर्तमान में सूडान विस्थापन के मामले में सबसे ऊपर है, जहाँ 14.3 मिलियन लोग या तो शरणार्थी हैं या देश के अंदर ही विस्थापित हैं। इसके बाद सीरिया (13.5 मिलियन), अफगानिस्तान (10.3 मिलियन) और यूक्रेन (8.8 मिलियन) का स्थान आता है। म्यांमार, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और दक्षिण सूडान जैसे देशों में भी व्यापक विस्थापन जारी है।
आंतरिक विस्थापन में तीव्र वृद्धि
रिपोर्ट बताती है कि जबरन विस्थापित लोगों में से 60% अपने ही देश के भीतर रहते हैं। 2024 में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या में 6.3 मिलियन की वृद्धि हुई, जिससे यह आंकड़ा 73.5 मिलियन तक पहुँच गया। यह संकेत करता है कि युद्ध और अस्थिरता के चलते लाखों लोग सुरक्षित क्षेत्रों की तलाश में अपने देश के अंदर ही पलायन करने को मजबूर हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2024 में 9.8 मिलियन जबरन विस्थापित लोगों ने घर वापसी की, जिनमें 1.6 मिलियन शरणार्थी थे — 20 वर्षों में सबसे अधिक।
- शरणार्थियों में से 67% पड़ोसी देशों में शरण लेते हैं, और तीन-चौथाई निम्न या मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
- सबसे अधिक शरणार्थी ईरान (3.5 मिलियन), तुर्की (2.9 मिलियन), कोलंबिया (2.8 मिलियन), जर्मनी (2.7 मिलियन) और युगांडा (1.8 मिलियन) में हैं।
- UNHCR के अनुसार, वैश्विक स्तर पर औसतन हर 67वां व्यक्ति जबरन विस्थापित है।
सहायता में कटौती और चुनौतियाँ
UNHCR ने यह भी रेखांकित किया कि कई देशों द्वारा सहायता राशि में कटौती की जा रही है। अमेरिका, जो ऐतिहासिक रूप से सबसे बड़ा दाता रहा है, ने अपनी सहायता में भारी कमी की है। ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों ने भी सैन्य खर्च बढ़ाने के लिए मानवीय सहायता में कटौती की है।
संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने इस स्थिति को “गंभीर और असहनीय” बताया और कहा कि “हमें शांति की खोज और विस्थापितों के लिए स्थायी समाधान खोजने के प्रयासों को दोगुना करना होगा।”
हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि सीरिया जैसे देशों में लगभग 2 मिलियन लोगों की घर वापसी जैसे कुछ सकारात्मक संकेत भी मिले हैं।
अंततः, यह रिपोर्ट वैश्विक समुदाय को यह याद दिलाती है कि शरणार्थियों और विस्थापितों के लिए सहायता केवल मानवीय कर्तव्य ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक आवश्यक निवेश है।