चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध में अस्थायी विराम: दुर्लभ खनिजों पर लगी रोक हटी
 
हाल ही में बुसान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई ऐतिहासिक बैठक के बाद चीन ने एक वर्ष के लिए दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों को अस्थायी रूप से हटाने पर सहमति व्यक्त की है। यह समझौता दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक तनाव में एक अस्थायी विराम की तरह देखा जा रहा है।
समझौते की शर्तें और व्यापारिक रियायतें
इस समझौते के अंतर्गत अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ को 57 प्रतिशत से घटाकर 47 प्रतिशत कर दिया है तथा नई तकनीकी पाबंदियों को फिलहाल स्थगित कर दिया है। इसके बदले में चीन न केवल दुर्लभ खनिजों का निर्यात फिर से शुरू करेगा, बल्कि अमेरिकी सोयाबीन की खरीद भी जारी रखेगा और अवैध फेंटानिल तस्करी को रोकने के प्रयासों को मजबूत करेगा। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक वर्ष की इस रोक हटाने की पुष्टि की है, जो आर्थिक प्रतिस्पर्धा के माहौल में एक दुर्लभ कूटनीतिक नरमी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं पर प्रभाव
दुर्लभ खनिजों पर पूर्व में लगाए गए चीनी प्रतिबंधों ने वैश्विक विनिर्माण क्षेत्रों में गंभीर संकट उत्पन्न कर दिया था, खासकर उन उद्योगों में जो अर्धचालकों, इलेक्ट्रिक वाहनों और उन्नत रक्षा प्रणालियों के निर्माण पर निर्भर हैं। इन प्रतिबंधों से संभावित कमी और कीमतों में भारी वृद्धि की आशंका उत्पन्न हुई थी। अब यह अस्थायी राहत इन क्षेत्रों को कुछ समय के लिए स्थिरता प्रदान करेगी, हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे मौलिक निर्भरताएं समाप्त नहीं होतीं।
चीन की रणनीतिक बढ़त
चीन वैश्विक दुर्लभ खनिज उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत और प्रसंस्करण का 90 प्रतिशत नियंत्रण करता है, जिससे उसे इस क्षेत्र में अत्यधिक रणनीतिक प्रभाव प्राप्त है। पहले लगाए गए प्रतिबंधों में यह भी शामिल था कि विदेशी कंपनियों को अपनी वस्तुओं में इन खनिजों की थोड़ी मात्रा होने पर भी चीनी स्वीकृति की आवश्यकता होती। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस खनिज प्रभुत्व का उपयोग कूटनीतिक हथियार के रूप में करने में सक्षम है, जिससे उसकी वैश्विक सौदेबाज़ी की ताकत बढ़ती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- चीन वैश्विक दुर्लभ खनिज उत्पादन का लगभग 70% और प्रसंस्करण का 90% नियंत्रित करता है।
- अमेरिका ने इस समझौते के तहत चीनी वस्तुओं पर टैरिफ को घटाकर 47% किया है।
- दुर्लभ खनिजों के निर्यात प्रतिबंधों को एक वर्ष के लिए निलंबित किया गया है।
- दुर्लभ खनिज अर्धचालक, इलेक्ट्रिक वाहन और सैन्य उपकरणों के निर्माण में अत्यंत आवश्यक होते हैं।
भविष्य की रणनीतिक दिशा
हालांकि यह समझौता तत्काल व्यापारिक तनावों को कम करता है, लेकिन कई विश्लेषकों का मानना है कि इससे चीन को दीर्घकालिक रणनीतिक लाभ प्राप्त हो सकता है। चीन की यह नियंत्रित नरमी उसे भविष्य की वार्ताओं में अधिक ताकतवर स्थिति में ला सकती है। अमेरिका के पूर्व राजदूत निकोलस बर्न्स ने इस स्थिति को “एक अस्थिर युद्धविराम” करार दिया है, जो दर्शाता है कि यह प्रतिस्पर्धा समाप्त नहीं हुई है बल्कि केवल थोड़ी देर के लिए थमी है।
