केरल में मातृ मृत्यु दर में वृद्धि: आंकड़ों की कहानी और सामाजिक परिप्रेक्ष्य

केरल, जिसे मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश में अग्रणी राज्य माना जाता है, अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। हाल ही में जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) विशेष बुलेटिन 2021-2023 के अनुसार, राज्य की मातृ मृत्यु दर (MMR) प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 18 से बढ़कर 30 हो गई है। हालांकि यह वृद्धि चिंताजनक प्रतीत हो सकती है, लेकिन इसके पीछे के सामाजिक और सांख्यिकीय कारणों को समझना आवश्यक है।
मातृ मृत्यु दर में वृद्धि के कारण
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, वर्ष 2021 में कोविड-19 के कारण हुई 97 मातृ मौतों ने MMR को प्रभावित किया। वहीं, राज्य में लगातार घटती जीवित जन्म दर भी इस वृद्धि का प्रमुख कारण है। MMR की गणना—मातृ मौतों की संख्या को जीवित जन्मों की संख्या से विभाजित कर एक लाख से गुणा कर—की जाती है।
वर्तमान में, केरल में प्रतिवर्ष लगभग 120-140 मातृ मौतें होती हैं, जो पिछले कई वर्षों से स्थिर बनी हुई हैं। दूसरी ओर, राज्य में जीवित जन्मों की संख्या 5 लाख से घटकर 3.93 लाख (2023) रह गई है, और यह आंकड़ा अगले वर्ष तक और घटकर 3.54 लाख हो सकता है।
आंकड़ों में अंतर और वास्तविकता
SRS की रिपोर्ट एक सैंपल आधारित अध्ययन पर आधारित होती है, जबकि राज्य का स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक मातृ मृत्यु का विस्तृत रजिस्टर (line list) तैयार करता है। इसलिए इन दोनों स्रोतों के आंकड़ों में अक्सर अंतर होता है। राज्य सरकार का मानना है कि SRS द्वारा 2020-22 में MMR को 18 दिखाना वास्तविकता से परे था, और वर्तमान में जो 30 बताया गया है, वह अपेक्षाकृत सटीक है।
सामाजिक और स्वास्थ्य परिप्रेक्ष्य
केरल में “सुरक्षित मातृत्व” हमेशा प्राथमिकता रही है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बदलती सामाजिक संरचना के कारण अब शेष कारणों को नियंत्रित करना कठिन होता जा रहा है। उच्च आयु में गर्भधारण, जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ, और न्यूनतम जन्म दर जैसे कारक अब मातृ मृत्यु दर को प्रभावित कर रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- MMR (Maternal Mortality Ratio) का अर्थ है: एक निर्धारित समय में प्रति 1 लाख जीवित जन्मों पर हुई मातृ मौतें।
- केरल का MMR 2021-23 के अनुसार 30 है, जो पूर्व के 18 से बढ़ा है।
- MMR की गणना = (मातृ मौतें / जीवित जन्म) × 100,000
- 2023 में केरल में 3,93,231 जीवित जन्म दर्ज हुए।
- कोविड-19 के दौरान (2021-22) MMR 32 से बढ़कर 51 हो गया था।
MMR में आई इस अपेक्षित वृद्धि को केवल स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोरी मानना उचित नहीं होगा। यह दर एक संख्यात्मक अनुपात है, जो तब भी बढ़ सकती है जब मातृ मौतें स्थिर बनी रहें और जन्मों की संख्या घटे। केरल का मातृ स्वास्थ्य मॉडल अब “अंतिम मील की चुनौती” से जूझ रहा है, जहाँ शेष जोखिम कारकों को नियंत्रित करना कहीं अधिक जटिल हो गया है।
इस स्थिति में राज्य के लिए आवश्यक है कि वह सामाजिक परिवर्तन के साथ चिकित्सा सेवा, प्रसव पूर्व देखभाल और आपातकालीन सहायता की रणनीतियों को और अधिक सुदृढ़ करे, ताकि मातृत्व और माताओं का जीवन और भी सुरक्षित हो सके।