केरल में बोनट मकाक की जनसंख्या नियंत्रण योजना: संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के बीच संतुलन

केरल में बोनट मकाक की जनसंख्या नियंत्रण योजना: संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष के बीच संतुलन

केरल वन विभाग ने राज्य में तेजी से बढ़ रही बोनट मकाक (Bonnet macaque) प्रजाति की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक नसबंदी अभियान चलाने का प्रस्ताव रखा है। दक्षिण भारत की स्थानीय यह प्रजाति अब मानव-वन्यजीव संघर्ष का एक प्रमुख कारण बन चुकी है, जिससे राज्य के कई हिस्सों में किसानों को फसल क्षति और आम नागरिकों को सुरक्षा संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

क्यों उठाया गया यह कदम?

बोनट मकाक की उपस्थिति राज्य के लगभग सभी ईको-टूरिज्म केंद्रों और वन सीमा क्षेत्रों में देखी जाती है। किसानों के अनुसार, ये बंदर नारियल समेत कई कृषि फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं। ‘मिशन बोनट मकाक’ नामक 10-बिंदु कार्यक्रम के तहत जनसंख्या नियंत्रण को लेकर वन विभाग ने यह पहल की है। मुख्य वन्यजीव वार्डन प्रमोद जी. कृष्णन के अनुसार, यह नसबंदी कार्यक्रम उसी मिशन का हिस्सा है।

नसबंदी का प्रस्ताव और प्रक्रिया

  • यह कार्यक्रम चुनिंदा क्षेत्रों में मकाक झुंडों की नसबंदी करेगा।
  • नसबंदी के बाद जानवरों को अस्थायी आश्रय में रखा जाएगा ताकि घाव भर सकें।
  • फिर इन्हें उनके मूल क्षेत्रों में वापस छोड़ा जाएगा।
  • जानवरों को वध (किलिंग) नहीं किया जाएगा, जैसा कि जंगली सूअरों के मामले में होता है।

कानूनी और पारिस्थितिकीय बाधाएं

बोनट मकाक वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में शामिल हैं, जिससे उनकी नसबंदी के लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक है। यह श्रेणी उन प्रजातियों को दी जाती है जिनकी आबादी गिर रही है और जिन्हें उच्चतम संरक्षण की आवश्यकता है।

IUCN द्वारा ‘असुरक्षित’ श्रेणी में सूचीबद्ध

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने इस प्रजाति को ‘Vulnerable’ यानी असुरक्षित श्रेणी में रखा है। अध्ययन दर्शाते हैं कि इसके वितरण क्षेत्र के कुछ हिस्सों में इनकी संख्या में 65% तक की गिरावट आई है। गिरावट के कारणों में शामिल हैं:

  • शिकार और उत्पीड़न
  • पारंपरिक वृक्षों की कटाई
  • मनुष्यों द्वारा भोजन कराना
  • उत्तर भारत में रिसस मकाक द्वारा विस्थापन

अन्य सहायक उपाय

  • ईको-टूरिज्म केंद्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली लागू की जाएगी।
  • पर्यटकों द्वारा जानवरों को भोजन देने की प्रवृत्ति को सख्ती से हतोत्साहित किया जाएगा।
  • स्थानीय समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • बोनट मकाक (Macaca radiata): दक्षिण भारत की स्थानीय बंदर प्रजाति।
  • अनुसूची-1, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: सर्वोच्च संरक्षण प्राप्त करने वाली प्रजातियाँ।
  • IUCN ‘Vulnerable’ श्रेणी: ऐसी प्रजातियाँ जिनका अस्तित्व खतरे में है।
  • दक्षिण भारत में वितरण: आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात।

यह पहल वन्यजीव संरक्षण और मानव हितों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक संवेदनशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाती है। नसबंदी जैसे मानवीय विकल्प अपनाकर राज्य सरकार एक ऐसी नीति का उदाहरण प्रस्तुत कर रही है जो दीर्घकालिक समाधान की ओर अग्रसर है।

Originally written on June 30, 2025 and last modified on June 30, 2025.

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