केजे मुलडून: दुर्लभ आनुवंशिक रोग के लिए व्यक्तिगत जीन संपादन उपचार की सफलता

केजे मुलडून: दुर्लभ आनुवंशिक रोग के लिए व्यक्तिगत जीन संपादन उपचार की सफलता

अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में जन्मे नौ महीने के केजे मुलडून, एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार, कार्बामॉयल फॉस्फेट सिंथेटेज़ 1 (CPS1) की कमी से पीड़ित थे। यह स्थिति शरीर में अमोनिया के विषाक्त स्तर को बढ़ा देती है, जिससे मस्तिष्क को गंभीर क्षति या मृत्यु हो सकती है। हाल ही में, उन्हें एक व्यक्तिगत जीन संपादन उपचार प्राप्त हुआ, जिससे उनकी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा गया।

CPS1 की कमी: एक घातक विकार

CPS1 की कमी एक विरल आनुवंशिक विकार है, जो लगभग हर दस लाख में एक नवजात को प्रभावित करता है। इस विकार में, शरीर अमोनिया को प्रभावी ढंग से नहीं निकाल पाता, जिससे यह रक्त में एकत्रित होकर विषाक्तता उत्पन्न करता है। यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।

व्यक्तिगत जीन संपादन उपचार: एक नई आशा

केजे के लिए, फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन हॉस्पिटल और पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक विशेष जीन संपादन तकनीक, “बेस एडिटिंग”, का उपयोग किया। इस तकनीक के माध्यम से, वैज्ञानिकों ने केजे के डीएनए में विशिष्ट त्रुटि की पहचान की और उसे ठीक किया। उन्हें फरवरी 2025 में पहली खुराक दी गई, जिसके बाद मार्च और अप्रैल में दो और खुराकें दी गईं। उपचार के बाद, केजे की स्थिति में सुधार देखा गया, और अब वे सामान्य जीवन जी रहे हैं।

बेस एडिटिंग बनाम पारंपरिक CRISPR-Cas9

पारंपरिक CRISPR-Cas9 तकनीक डीएनए में दोहरा स्ट्रैंड ब्रेक उत्पन्न करती है, जिससे अनपेक्षित परिवर्तन हो सकते हैं। वहीं, बेस एडिटिंग तकनीक बिना डीएनए को काटे, केवल एकल बेस परिवर्तन करती है, जिससे यह अधिक सटीक और सुरक्षित मानी जाती है। इसमें Cas9 एंजाइम को एक बेस-मॉडिफाइंग एंजाइम के साथ जोड़ा जाता है, जो विशिष्ट डीएनए अनुक्रम को पहचानकर उसमें आवश्यक परिवर्तन करता है।

भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

केजे का सफल उपचार व्यक्तिगत जीन संपादन की संभावनाओं को दर्शाता है। हालांकि, इस तकनीक की उच्च लागत और प्रत्येक रोगी के लिए अलग-अलग उपचार की आवश्यकता इसे व्यापक रूप से उपलब्ध कराने में बाधा बन सकती है। इसके अलावा, नियामक अनुमोदन और नैतिक विचार भी इसके प्रसार में चुनौतियां प्रस्तुत करते हैं।
फिर भी, केजे की कहानी जीन संपादन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो भविष्य में अन्य दुर्लभ आनुवंशिक रोगों के उपचार के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकती है।

Originally written on May 28, 2025 and last modified on May 28, 2025.

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