केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू: 2026 से अगले पांच वर्षों के लिए होगी नई मंजूरी

केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू: 2026 से अगले पांच वर्षों के लिए होगी नई मंजूरी

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSSs) और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं (CSs) की आगामी पांच वर्षीय चक्र (2026–2031) के लिए मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया का शुभारंभ कर दिया है। इस संदर्भ में कैबिनेट सचिव डॉ. टी.वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में एक अर्धदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों के सचिव, वित्तीय सलाहकार और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

योजनाओं की निरंतरता अब कठोर मूल्यांकन पर निर्भर

2016 के बजट भाषण में घोषित नीति के अनुसार, प्रत्येक योजना की एक ‘सनसेट डेट’ यानी समाप्ति तिथि और परिणाम मूल्यांकन अनिवार्य किया गया है। इन योजनाओं को वित्त आयोग के चक्र से जोड़ा गया है और अब उनकी निरंतरता तीसरे पक्ष द्वारा किए गए मूल्यांकन के आधार पर तय की जाएगी।
कार्यशाला में कैबिनेट सचिव ने जोर देकर कहा कि योजनाओं की डिज़ाइन, संरचना, उद्देश्य और प्रभावशीलता को इस मूल्यांकन के आधार पर पुनःपरिभाषित किया जाए। उन्होंने अप्रभावी योजनाओं को बंद करने, आपसी समानता वाली योजनाओं को मिलाने और संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग सुनिश्चित करने पर बल दिया।

2026 तक 314 योजनाओं की अवधि समाप्त, पुनःमूल्यांकन की तैयारी

वर्तमान में 54 CSSs और 260 CSs ऐसी हैं जिनकी मंजूरी 31 मार्च 2026 को समाप्त हो रही है। इन सभी योजनाओं को पुनःमूल्यांकन के बाद मंत्रिमंडल से नई मंजूरी लेनी होगी। ये योजनाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला व बाल विकास, कृषि, पर्यावरण, अनुसंधान और बुनियादी ढांचे जैसे विविध क्षेत्रों को कवर करती हैं।

व्यय की गुणवत्ता और पूंजीगत निवेश पर जोर

वित्त मंत्रालय ने योजना व्यय की गुणवत्ता को प्राथमिकता देने पर बल दिया। बताया गया कि पूर्व मूल्यांकन चक्रों के माध्यम से सरकार पूंजीगत व्यय को बढ़ाने में सक्षम हुई है, जो अब 2025–26 के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये है। ‘चैलेंज मोड’ फंडिंग, DBT का सार्वभौमिक उपयोग, योजनाओं का आपसी समन्वय, और ‘जस्ट-इन-टाइम’ फंड रिलीज जैसे प्रावधान भी व्यापक चर्चा का विषय रहे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • CSS (Centrally Sponsored Schemes): केंद्र व राज्य सरकारें लागत साझा करती हैं।
  • CS (Central Sector Schemes): पूरी लागत केंद्र सरकार उठाती है।
  • DMEO (Development Monitoring and Evaluation Organisation): NITI Aayog की संस्था, CSSs का मूल्यांकन करती है।
  • सनसेट पॉलिसी: हर योजना को एक समाप्ति तिथि और मूल्यांकन के साथ डिजाइन किया जाता है।
  • वित्त आयोग चक्र: योजनाओं की निरंतरता को वित्त आयोग के 5 वर्षीय चक्र से जोड़ा गया है, अगला चक्र 2026 में शुरू होगा।

यह पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि भारत की विकास योजनाएं परिणाम-आधारित हों, समावेशी हों और भविष्य के भारत @100 विजन के साथ तालमेल में हों। संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के साथ, यह कवायद एक उत्तरदायी और नवाचारोन्मुख शासन का संकेत है।

Originally written on May 30, 2025 and last modified on May 30, 2025.

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