कीलाड़ी के डीएनए और चेहरे की पुनर्निर्माण से खुलते तमिल सभ्यता के प्राचीन रहस्य

कीलाड़ी के डीएनए और चेहरे की पुनर्निर्माण से खुलते तमिल सभ्यता के प्राचीन रहस्य

तमिलनाडु के ऐतिहासिक कीलाड़ी पुरातात्विक स्थल से जुड़े नवीनतम अनुसंधान निष्कर्षों ने फिर एक बार यह सिद्ध किया है कि तमिल सभ्यता न केवल प्राचीन है, बल्कि वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ इसकी महत्ता और गहराई और अधिक स्पष्ट हो रही है। इंग्लैंड की लिवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में 2,500 वर्ष पूर्व जीवित रहे लोगों के चेहरों का 3D पुनर्निर्माण किया गया है — एक ऐतिहासिक और वैज्ञानिक उपलब्धि जिसने तमिल सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता को और मजबूत किया है।

कीलाड़ी: तमिल सभ्यता का प्रमाणित प्राचीन केंद्र

तमिलनाडु के मदुरै से 12 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व स्थित कीलाड़ी स्थल पर 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व की समृद्ध सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग के अनुसार, अब तक 29 रेडियोकार्बन तिथियाँ इस क्षेत्र को 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 2वीं सदी ईस्वी तक के काल से जोड़ती हैं। संगम साहित्य में वर्णित जीवनशैली को अब जैविक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से वैज्ञानिक मान्यता मिल रही है।

चेहरों का पुनर्निर्माण और डीएनए विश्लेषण

कोन्डगई स्थल (कीलाड़ी से लगभग 800 मीटर दूर) से मिले दो खोपड़ियों के आधार पर लिवरपूल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कैरोलिन विल्किंसन और उनकी टीम ने कंप्यूटर-सहायता प्राप्त 3D फेशियल रिकंस्ट्रक्शन तकनीक का उपयोग किया। CT स्कैन आधारित माप और आधुनिक दक्षिण भारतीयों के ऊतक गहराई डेटा से चेहरों को लगभग 80% वैज्ञानिक और 20% कलात्मक अंदाज में पुनर्निर्मित किया गया।

  • विशेषताएँ: पुरुषों की औसत ऊंचाई 170.82 सेमी और महिलाओं की 157.74 सेमी पाई गई।
  • पूर्वज वंश: वेस्ट यूरेशियन (ईरानी शिकारी-संग्रहकर्ता) और ऑस्ट्रो-एशियाटिक पूर्वजों की मिश्रित पहचान।
  • डीएनए अध्ययन: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से कोन्डगई से निकले अस्थि-कलशों से डीएनए मार्कर अध्ययन किया जा रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • कीलाड़ी: संगम काल की सभ्यता का प्राचीन नगर, जो 6वीं सदी ईसा पूर्व में विकसित था।
  • कोन्डगई: एक दफन स्थल, जहाँ से खोपड़ियाँ और अस्थियाँ मिली हैं।
  • फेशियल रिकंस्ट्रक्शन: खोपड़ी के आधार पर चेहरे की मांसपेशियों और संरचना का वैज्ञानिक पुनर्निर्माण।
  • रेडियोकार्बन डेटिंग: पुरातात्विक वस्तुओं की आयु निर्धारण की तकनीक।

केंद्र-राज्य विवाद और सांस्कृतिक गरिमा

तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार पर कीलाड़ी की ऐतिहासिकता को दबाने का आरोप लगाते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से उसकी खुदाई रिपोर्ट जारी करने की मांग की है। राज्य के वित्त मंत्री थंगम तेनारासु और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन दोनों ने इस शोध को तमिल गौरव का प्रमाण बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक प्रमाणों ने संगम साहित्य को एक बार फिर सिद्ध किया है।
कीलाड़ी की खोज और अब चेहरे की पुनर्निर्माण तकनीक से हुए खुलासे यह दर्शाते हैं कि तमिल सभ्यता एक सुनियोजित, लोकतांत्रिक, जल-संरक्षित और वैज्ञानिक समाज था, जो आज भी शोधकर्ताओं को रोमांचित कर रहा है। यह पहल भारत में ऐतिहासिक अध्ययन और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए एक प्रेरणास्रोत बन रही है।

Originally written on June 30, 2025 and last modified on June 30, 2025.

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