कर्नाटक के कर्वार में दुर्लभ ‘एटलस मॉथ’ की खोज
 
कर्नाटक के दावणगेरे जिले के कर्वार क्षेत्र के गुड्डेहल्ली गाँव में दुनिया के सबसे बड़े पतंगे ‘एटलस मॉथ’ (Atlas Moth) की दुर्लभ उपस्थिति दर्ज की गई है। इस पतंगे को स्थानीय फोटोग्राफर रवि गौड़ा ने अपने कैमरे में कैद किया, जिससे वैज्ञानिकों और पर्यावरण प्रेमियों के बीच उत्सुकता का विषय बन गया है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे Attacus atlas के नाम से जाना जाता है और यह लीपिडोप्टेरा (Lepidoptera) वर्ग का सदस्य है।
एटलस मॉथ की विशेषताएँ और जीवनचक्र
एटलस मॉथ अपनी विशालता और आकर्षक रंगों के लिए प्रसिद्ध है। इसके पंखों का फैलाव लगभग 24 सेंटीमीटर होता है, जिससे इसे अक्सर लोग तितली समझने की भूल कर बैठते हैं। हालांकि यह एक पतंगा है और इसकी बनावट, व्यवहार तथा जीवनचक्र इसे विशिष्ट बनाते हैं।
इस पतंगे की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इसके शरीर में मुँह या पाचन तंत्र नहीं होता। मादा पतंगा विशेष प्रकार के पेड़ों की पत्तियों पर अंडे देती है। अंडों से निकलने वाले कीट (larvae) उन्हीं पत्तियों पर जमकर भोजन करते हैं और अपने जीवन के लिए आवश्यक सारी ऊर्जा उसी अवस्था में एकत्रित करते हैं। उसके बाद वे कोकून बनाकर पूर्ण विकसित पतंगे के रूप में बाहर निकलते हैं।
वयस्क बनने के बाद, एटलस मॉथ भोजन नहीं करता क्योंकि उसके पास मुँह नहीं होता। यह अपनी जमा की गई ऊर्जा के बल पर केवल प्रजनन में संलग्न होता है। मादा पतंगा अंडे देने के बाद मर जाती है, जबकि नर पतंगा संभोग के तुरंत बाद समाप्त हो जाता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- एटलस मॉथ (Attacus atlas) को दुनिया का सबसे बड़ा पतंगा माना जाता है।
- पंखों का फैलाव लगभग 24 सेमी होता है।
- इस पतंगे का जीवनकाल मात्र 14 से 18 दिन होता है।
- यह मॉथ भोजन नहीं करता क्योंकि इसके पास मुँह और पाचन तंत्र नहीं होता।
- मुख्य रूप से तटीय और पहाड़ी जंगलों में, विशेषकर बरसात के मौसम में देखा जाता है।
प्राकृतिक महत्व और पारिस्थितिकी में भूमिका
एटलस मॉथ सामान्यतः तटीय और पर्वतीय वनों में पाया जाता है। यह बरसात के मौसम में अधिक सक्रिय रहता है और अपने पंख फैलाए विश्राम करते हुए या संतानोत्पत्ति में संलग्न देखा जाता है। चूँकि इसका जीवनकाल अत्यंत अल्प होता है, यह तेजी से कमजोर हो जाता है और पक्षियों, चींटियों तथा ततैयों जैसे शिकारियों का आसान शिकार बनता है।
इस पतंगे की उपस्थिति किसी भी जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र के लिए संकेत है कि वहाँ की पारिस्थितिकी तंत्र सजीव और संतुलित है। कर्वार जैसे क्षेत्रों में इसकी उपस्थिति न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जैव संरक्षण और स्थानीय जैव विविधता जागरूकता के लिए भी प्रेरक है।
