ऑस्ट्रेलिया की ‘घोस्ट बैट’ ड्रोन पहल: स्वदेशी रक्षा उद्योग की नई उड़ान

दुनिया के प्रमुख देशों के बीच होड़ लगी है — रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की, तकनीकी नवाचार की और युद्ध की बदलती रणनीति के अनुकूल खुद को ढालने की। इस दौड़ में अब ऑस्ट्रेलिया भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने MQ-28A ‘घोस्ट बैट’ नामक उन्नत सैन्य ड्रोन का सफल परीक्षण किया, जो एक तरह से मानवरहित ‘विंगमैन’ की भूमिका निभाता है। इस कदम को ऑस्ट्रेलिया की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक माना जा रहा है।
‘घोस्ट बैट’: तकनीक, रणनीति और स्वदेशी निर्माण का संगम
38 फीट लंबा यह ड्रोन ऑस्ट्रेलिया में विकसित और निर्मित होने वाला पिछले 50 वर्षों में पहला सैन्य विमान है। इसे अमेरिकी कंपनी बोइंग के सहयोग से तैयार किया जा रहा है, और अब तक सरकार द्वारा इस परियोजना में लगभग 650 मिलियन डॉलर का निवेश किया जा चुका है। यह ड्रोन न केवल पायलटेड फाइटर जेट्स के साथ उड़ान भरने में सक्षम है, बल्कि यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित निर्णय लेने में भी दक्ष है।
इसकी सीमा लगभग 2,300 मील है, जो ऑस्ट्रेलिया की लगभग पूरी चौड़ाई के बराबर है। इसकी निर्माण इकाई क्वींसलैंड के टूम्बा शहर में स्थापित की गई है, जहां 70% पुर्जे स्थानीय रूप से बनाए जा रहे हैं।
वैश्विक सैन्य परिदृश्य और ऑस्ट्रेलिया की रणनीति
दुनिया भर में ‘Collaborative Combat Aircraft’ या ‘Loyal Wingman’ जैसी अवधारणाएं तेज़ी से उभर रही हैं। चीन और अमेरिका भी इस क्षेत्र में बड़े निवेश कर रहे हैं। यूक्रेन युद्ध और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों ने ऑस्ट्रेलिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि यदि वह केवल अमेरिका पर निर्भर रहेगा, तो संकट की स्थिति में पीछे रह सकता है।
रक्षा मंत्री पैट कॉनरॉय के अनुसार, “हम अब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे बड़े पारंपरिक हथियारों की दौड़ का सामना कर रहे हैं।” ऐसे में, स्वदेशी रक्षा उत्पादन न केवल रणनीतिक रूप से अनिवार्य हो गया है, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- MQ-28A Ghost Bat ऑस्ट्रेलिया द्वारा निर्मित पहला स्वदेशी ड्रोन है जो फाइटर जेट्स के साथ उड़ान भर सकता है।
- AUKUS समझौता (2021): ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए किया गया एक ऐतिहासिक समझौता है।
- घोस्ट बैट नाम स्थानीय चमगादड़ पर रखा गया है जो अपने आकार के बराबर शिकार को पकड़ने की क्षमता रखता है।
- यह ड्रोन F-35 जैसे मैनड फाइटर जेट्स की तुलना में लगभग 10 गुना सस्ता है।
भविष्य की दिशा और भू-राजनीतिक प्रभाव
ऑस्ट्रेलिया अब न केवल आर्टिलरी शेल्स और मिसाइल निर्माण में भी आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है, बल्कि वह अमेरिका के परमाणु पनडुब्बियों के रख-रखाव में भी भागीदार बन चुका है। हालांकि वॉशिंगटन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के चलते सहयोग की दिशा में कुछ अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया का रुख स्पष्ट है — आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम रक्षा उद्योग विकसित करना।
‘घोस्ट बैट’ जैसी पहलें इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। यह न केवल रक्षा क्षेत्र में तकनीकी प्रगति को दर्शाता है, बल्कि संकट के समय आवश्यक स्वावलंबन का भी प्रतीक बनता है। ऑस्ट्रेलिया की यह उड़ान आने वाले समय में वैश्विक रक्षा परिदृश्य में उसकी भूमिका को और मजबूत कर सकती है।