एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत की ऐतिहासिक छलांग
भारत ने उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। QS एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में भारत की भागीदारी अभूतपूर्व रूप से बढ़कर 294 विश्वविद्यालयों तक पहुंच गई है, जो 2016 में मात्र 24 थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रगति को भारत की शिक्षा प्रणाली में हो रहे व्यापक सुधारों और सरकार की दूरदर्शी नीतियों का परिणाम बताया है।
उच्च शिक्षा में भारत की तेज़ प्रगति
QS क्वाक्क्वारेली साइमंड्स द्वारा जारी एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 अब तक की सबसे बड़ी रैंकिंग है, जिसमें एशिया के 25 शिक्षा प्रणालियों से कुल 1,529 संस्थान शामिल किए गए हैं। भारत की इस सूची में बढ़ती उपस्थिति यह दर्शाती है कि सरकार द्वारा अनुसंधान, नवाचार और गुणवत्ता सुधार के लिए किए गए निवेश अब परिणाम देने लगे हैं। इसकी तुलना में चीन की भागीदारी में केवल 273% की वृद्धि हुई है, जबकि भारत ने 1,125% की वृद्धि दर्ज की है।
अनुसंधान और नवाचार पर केंद्र सरकार का विशेष जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने X (पूर्व ट्विटर) पर इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा कि सरकार युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें अनुसंधान और नवाचार पर विशेष ध्यान दिया गया है। “इंस्टिट्यूशंस ऑफ एमिनेंस” और “नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF)” जैसी योजनाओं ने भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त करने में मदद की है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव
यह सफलता ऐसे समय में आई है जब भारत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पांच वर्ष पूरे कर रहा है। इस नीति ने उच्च शिक्षा में लचीलापन, बहुविषयी अध्ययन और अनुसंधान आधारित शिक्षा को बढ़ावा देकर शिक्षा की गुणवत्ता में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। नवाचार केंद्रों के लिए बढ़ा हुआ वित्त पोषण, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अनुसंधान फेलोशिप्स जैसे प्रयासों ने भारत की शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा को एशिया में मजबूती प्रदान की है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- वर्ष 2016 में भारत के केवल 24 विश्वविद्यालय QS एशिया रैंकिंग में शामिल थे; 2026 में यह संख्या 294 हो गई।
- 10 वर्षों में भारत की भागीदारी में 1,125% की वृद्धि दर्ज हुई — एशिया में सबसे तेज़।
- QS एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में कुल 1,529 संस्थानों को शामिल किया गया है।
- यह वृद्धि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की पांचवीं वर्षगांठ के साथ मेल खा रही है।
भारत अब केवल एक शिक्षा प्रदाता नहीं, बल्कि वैश्विक शैक्षणिक परिदृश्य में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। सरकार की दूरदर्शिता, विश्वविद्यालयों का अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर बढ़ता ध्यान, और नवाचार आधारित शोध ने भारत को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। यह उपलब्धि न केवल आज के लिए, बल्कि भविष्य के लिए भी भारत के शिक्षा क्षेत्र की विशाल संभावनाओं को रेखांकित करती है।