एल साल्वाडोर में संविधान संशोधन: अनंत कार्यकाल की ओर राष्ट्रपति बुकेले

एल साल्वाडोर की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जब राष्ट्रपति नायिब बुकेले की पार्टी ‘न्यू आइडियाज़’ ने देश की नेशनल असेंबली में संविधान संशोधन को पारित करवा लिया। इस संशोधन से राष्ट्रपति को अनिश्चितकालीन पुनःनिर्वाचन की अनुमति मिल गई है और कार्यकाल की अवधि भी पाँच से बढ़ाकर छह वर्ष कर दी गई है।

संविधान में किए गए मुख्य बदलाव

यह संशोधन कुल पाँच अनुच्छेदों में किया गया है, जिसकी पहल न्यू आइडियाज़ पार्टी की सांसद एना फिगुएरोआ ने की थी। इसमें राष्ट्रपति चुनाव की द्वितीय चरण प्रणाली को समाप्त करना, राष्ट्रपति के कार्यकाल को छह साल करना, और पुनःनिर्वाचन की सीमा को हटाना शामिल है। न्यू आइडियाज़ और उसके सहयोगियों ने भारी बहुमत से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया—57 वोट पक्ष में और मात्र 3 विपक्ष में।

लोकतंत्र पर मंडराते खतरे

हालांकि जनता के बीच बुकेले की लोकप्रियता बरकरार है, लेकिन विपक्षी नेताओं और मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम को लोकतंत्र के लिए घातक बताया है। विपक्षी सांसद मार्सेला विल्लातोरो ने कहा, “आज एल साल्वाडोर में लोकतंत्र की मृत्यु हो गई।” उन्होंने चेताया कि इस प्रकार की सत्ता केंद्रीकरण से भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और लोकतांत्रिक सहभागिता में गिरावट आती है।

राष्ट्रपति बुकेले की प्रतिक्रिया

बुकेले ने आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि 90% विकसित देशों में सरकार के प्रमुख को अनिश्चितकालीन पुनःनिर्वाचन की अनुमति है, तो एल साल्वाडोर के लिए यह क्यों अस्वीकार्य माना जा रहा है। उन्होंने आलोचकों पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि छोटे देशों के लोकतांत्रिक प्रयासों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • राष्ट्रपति नायिब बुकेले 2019 से सत्ता में हैं और 2024 में 85% मतों से पुनःनिर्वाचित हुए थे।
  • एल साल्वाडोर अब निकारागुआ और वेनेजुएला जैसे देशों की श्रेणी में आ गया है, जहां राष्ट्रपति कार्यकाल की सीमा नहीं है।
  • ‘न्यू आइडियाज़’ पार्टी के पास नेशनल असेंबली में सुपरमेजोरिटी है, जिससे संविधान संशोधन में कोई बाधा नहीं आई।
  • प्रस्ताव में यह भी शामिल था कि बुकेले का वर्तमान कार्यकाल 2029 की बजाय 2027 में समाप्त हो, ताकि राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव एक साथ कराए जा सकें।

यह संशोधन एल साल्वाडोर को एक नई राजनीतिक दिशा की ओर ले जा रहा है, जहां सत्ता का केंद्रीकरण स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जनता की सुरक्षा और स्थिरता की चाह ने बुकेले को व्यापक समर्थन दिलाया है, लेकिन इस समर्थन की आड़ में लोकतांत्रिक संस्थाओं का क्षरण चिंता का विषय बनता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस बदलाव को सतर्क निगाहों से देखा जा रहा है।

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