उत्तराखंड में संरक्षित वनस्पति की वार्षिक रिपोर्ट जारी: हरियाली के नए आयाम

उत्तराखंड में संरक्षित वनस्पति की वार्षिक रिपोर्ट जारी: हरियाली के नए आयाम

उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान शाखा ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि राज्य में संरक्षित पौधों की संख्या अब 2,228 तक पहुँच चुकी है। यह संख्या न केवल राज्य की जैव विविधता की समृद्धि को दर्शाती है, बल्कि वनस्पति संरक्षण की दिशा में की गई महत्वपूर्ण प्रगति को भी उजागर करती है।

संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण: एक आवश्यक कदम

रिपोर्ट के अनुसार, संरक्षित पौधों में से 120 प्रजातियाँ संकटग्रस्त या लुप्तप्राय श्रेणी में आती हैं, जिनमें से 75 प्रजातियाँ अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में शामिल हैं। इनमें व्हाइट हिमालयन लिली, ट्री फर्न, अतीस, सीता अशोक और हिमालयन गोल्डन स्पाइक जैसी दुर्लभ और आकर्षक प्रजातियाँ शामिल हैं।

इन-सिटू और एक्स-सिटू संरक्षण पद्धतियाँ

इन पौधों को सात अनुसंधान रेंजों — हल्द्वानी, जौलिकोट, रानीखेत, पिथौरागढ़, गोपेश्वर, देहरादून और उत्तरकाशी — में इन-सिटू (प्राकृतिक निवास स्थान में) और एक्स-सिटू (प्राकृतिक निवास स्थान से बाहर) संरक्षण उपायों के माध्यम से संरक्षित किया गया है। इस संरक्षण का उद्देश्य इन पौधों के जर्मप्लाज्म को संरक्षित करना है, ताकि यदि भविष्य में ये प्रजातियाँ प्राकृतिक रूप से समाप्त हो जाएँ, तो भी उनके आनुवंशिक गुण सुरक्षित रह सकें।

‘प्लांट ब्लाइंडनेस’ की धारणा को तोड़ने की पहल

प्रमुख वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि यह रिपोर्ट पहली बार 2020 में जारी की गई थी, जब संरक्षित पौधों की संख्या मात्र 1145 थी। पाँच वर्षों में यह संख्या दोगुनी हो चुकी है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य ‘प्लांट ब्लाइंडनेस’ जैसी धारणा को चुनौती देना है — एक ऐसा विचार जो पौधों के महत्व की उपेक्षा करता है और उनकी रक्षा के प्रति लोगों की रुचि को सीमित करता है।

उत्तराखंड की विशिष्ट और स्थानिक प्रजातियाँ

रिपोर्ट में बताया गया है कि 60 संरक्षित प्रजातियाँ उत्तराखंड या भारतीय हिमालयी क्षेत्र की स्थानिक (एंडेमिक) प्रजातियाँ हैं, जैसे तुमरी, जमोई, मोरू, कुमाऊँ फैन पाम, पटवा, एमरॉयी, गनिया और भीमल। ये प्रजातियाँ केवल इस क्षेत्र में ही पाई जाती हैं और इनका संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।

विविध जैविक समूहों का संरक्षण

इन 2228 प्रजातियों में शामिल हैं:

  • 528 वृक्ष प्रजातियाँ
  • 187 औषधीय जड़ी-बूटियाँ
  • 175 झाड़ियाँ
  • 46 बांस की प्रजातियाँ
  • 88 जंगली लताएँ
  • 12 प्रजातियाँ बेंत की
  • 107 घास प्रजातियाँ
  • 192 फर्न
  • 115 ऑर्किड
  • 88 पाम
  • 31 साइकैड्स
  • 290 कैक्टस और सक्युलेंट्स
  • 50 जल वनस्पतियाँ
  • 29 कीटभक्षी पौधे
  • 86 लाइकन
  • 118 ब्रायोफाइट्स
  • 14 शैवाल
  • 15 वायु पौधे

यह रिपोर्ट न केवल पर्यावरण संरक्षण में उत्तराखंड की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है।

Originally written on May 26, 2025 and last modified on May 26, 2025.

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