उत्तराखंड में नेताला बायपास को मिली मंजूरी: चारधाम परियोजना में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी?

उत्तराखंड में नेताला बायपास को मिली मंजूरी: चारधाम परियोजना में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी?

उत्तराखंड के वन विभाग ने हाल ही में चारधाम सड़क परियोजना के अंतर्गत नेताला बायपास निर्माण के लिए सीमा सड़क संगठन (BRO) को 17.5 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग की सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। यह क्षेत्र भगिरथी पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र (eco-sensitive zone) में आता है, जिसे लेकर पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिक मंचों ने तीव्र आपत्ति दर्ज की है।

क्या है मामला?

  • 15 जुलाई, 2025 को राज्य के मुख्य वन संरक्षक ने राष्ट्रीय राजमार्ग-34 के तहत हिना से टेक्ला तक 8.07 किलोमीटर लम्बे बायपास निर्माण के लिए वन भूमि को मोड़ने की अनुमति दी।
  • आदेश के अनुसार BRO अब इस क्षेत्र में 10 मीटर चौड़ी सड़क बना सकता है — जबकि सुप्रीम कोर्ट के 7 सितंबर, 2020 के आदेश अनुसार, इस क्षेत्र में सड़क चौड़ाई 5.5 मीटर तक ही सीमित होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और HPC की सिफारिशों की अवहेलना

  • हाई पावर कमेटी (HPC) ने पहले ही चेताया था कि इस क्षेत्र में नया बायपास बनाना “खतरनाक और अवांछनीय” है।
  • समिति ने देवदार के पेड़ों की कटाई को हर कीमत पर रोकने की सिफारिश की थी।
  • इसके बावजूद BRO हजारों पेड़ों को काटकर 10 मीटर चौड़ी डामर सड़क बनाने की योजना पर आगे बढ़ रहा है।

कार्यकर्ताओं और नागरिक समूहों की आपत्ति

  • हिमालयन नागरिक दृष्टि मंच ने इस स्वीकृति को अवमानना (Contempt of Court) करार देते हुए 25 अगस्त को कई केंद्रीय मंत्रालयों और निगरानी समिति को पत्र भेजा।
  • कार्यकर्ता नागेश जगुड़ी, मुरारी लाल भट्ट, गौतम भट्ट ‘साथी’, दीपक रमोला, और गीता गैरोला आदि ने हस्ताक्षर किए आपत्ति पत्र पर।
  • इनका कहना है कि झाला से भैरोंघाटी तक हजारों देवदार पेड़ों की कटाई से पर्वतीय ढलानों की स्थिरता को खतरा होगा।

स्थानीक लोगों की चिंता: हर मानसून में बढ़ता खतरा

  • स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऋषिकेश से उत्तरकाशी तक BRO द्वारा पहले किए गए सड़क चौड़ीकरण से भूस्खलन की घटनाएं तेज़ी से बढ़ी हैं।
  • नालुपानी से चंबा तक मानसून में यात्रा “जीवन के लिए खतरा” बन गई है।
  • नागरिक मंचों का कहना है कि “यह सिर्फ सड़क नहीं, बल्कि हजारों पेड़ों, पर्वतों की स्थिरता और गंगा की पारिस्थितिकी पर सीधा आक्रमण है।”

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भगिरथी ईको-सेंसिटिव ज़ोन गंगोत्री से उत्तरकाशी तक फैला एक संवेदनशील क्षेत्र है।
  • चारधाम परियोजना का उद्देश्य चार प्रमुख धामों (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ) तक बेहतर सड़क संपर्क बनाना है।
  • हाई पावर कमेटी (HPC) का गठन सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम परियोजना की निगरानी के लिए किया था।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में आदेश दिया था कि इस क्षेत्र में सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र पहले से ही जलवायु परिवर्तन, भारी वर्षा और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों की अनदेखी करते हुए सड़क चौड़ीकरण की यह पहल न केवल पर्यावरणीय विनाश, बल्कि स्थानीय निवासियों के जीवन के लिए भी गंभीर संकट बन सकती है।

Originally written on August 30, 2025 and last modified on August 30, 2025.

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