आधुनिक भारतीयों की उत्पत्ति: तीन पूर्वज समूहों और हजारों वर्षों की आनुवंशिक यात्रा का खुलासा

एक नए आनुवंशिक अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है कि आधुनिक भारतीयों की वंशावली मुख्य रूप से तीन प्रमुख पूर्वज समूहों से जुड़ी हुई है — नवपाषाण युग के ईरानी किसान, यूरेशियन स्टेपी के पशुपालक, और दक्षिण एशियाई शिकारी-संग्राहक। यह शोध अमेरिका की कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है और प्रतिष्ठित जर्नल Cell में प्रकाशित हुआ है।

भारत में तीन नस्लीय समूहों का मिश्रण

शोधकर्ताओं ने भारत के उत्तर और दक्षिण दोनों हिस्सों में निवास करने वाले लोगों के जीनोम का विश्लेषण कर पाया कि अधिकांश भारतीयों में इन तीन पूर्वज समूहों के आनुवंशिक संकेत पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, यह पाया गया कि भारत की भाषाई और आनुवंशिक विविधता प्राचीन प्रवासों और सामाजिक परंपराओं द्वारा आकार ग्रहण करती है।

अफ्रीका से मानव प्रवास और आदिम मानवों का योगदान

अध्ययन में यह भी दर्शाया गया कि भारतीयों की उत्पत्ति लगभग 50,000 वर्ष पूर्व अफ्रीका से हुई एक बड़े मानव प्रवास से हुई थी। इसके बाद, भारत की जनसंख्या में नियंडरथल और डेनिसोवन जैसे आदिम मानवों से जीन प्रवाह हुआ, जिसका प्रभाव भारतीय जीनोम पर 1–2% तक पाया गया है। दिलचस्प रूप से, भारत के लोगों में गैर-अफ्रीकी जनसंख्या के बीच नियंडरथल पूर्वजों का सबसे अधिक विविध योगदान पाया गया।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • अध्ययन में भारत के 18 राज्यों के 2,762 प्रतिभागियों का संपूर्ण जीनोम विश्लेषण किया गया।
  • तीन प्रमुख पूर्वज समूह: नवपाषाण ईरानी किसान, यूरेशियन स्टेपी पशुपालक, दक्षिण एशियाई शिकारी-संग्राहक।
  • नियंडरथल और डेनिसोवन जीन का भारतीय जीनोम में 1–2% योगदान।
  • भारतीयों में होमोजायगोसिटी की दर यूरोपीय और पूर्वी एशियाई लोगों से 2 से 9 गुना अधिक पाई गई।

आनुवंशिक विविधता, इनब्रीडिंग और स्वास्थ्य प्रभाव

शोध में यह भी पता चला कि भारत में समुदाय-भीतरी विवाह (endogamy) के चलते आनुवंशिक विविधता सीमित हो गई है। लगभग प्रत्येक प्रतिभागी में किसी न किसी निकट संबंधी के जीन का मिलान पाया गया। इसके कारण भारत में होमोजायगोसिटी — यानी माता-पिता से एक जैसे जीन प्राप्त करने की प्रवृत्ति — काफी अधिक है।
इसका परिणाम यह होता है कि कुछ आनुवंशिक रोगों, विशेषकर जन्मजात बीमारियों, रक्त विकारों, चयापचय समस्याओं, और डिमेंशिया जैसी जटिल अवस्थाओं का खतरा अधिक हो जाता है। यह अध्ययन भारत में स्वास्थ्य नीति और आनुवंशिक स्क्रीनिंग की दिशा में गंभीर संकेत देता है।

निष्कर्ष

यह अध्ययन भारत के लोगों की उत्पत्ति और आनुवंशिक संरचना को समझने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल प्राचीन मानव प्रवासों का चित्र प्रस्तुत करता है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे सामाजिक व्यवहार, विवाह की परंपराएं, और पर्यावरणीय परिस्थितियाँ हमारे जीनोम को प्रभावित करती हैं। इससे मिली जानकारी भारत में स्वास्थ्य देखभाल और जैव विविधता से जुड़े अनुसंधानों को एक नई दिशा दे सकती है।

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